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ज्योतिष शास्त्र - एक परिचय

सामान्य भाषा में कहें तो ज्योतिष माने वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों,नक्षत्रों आदि की गति,परिमाप, दूरी इत्या‍दि का निश्चय किया जाता है।ज्योतिषशास्त्र लेकर हमारे समाज की धरण है कि इससे हमें भविष्य में घटनेवाली घटनाओं के बारे में आगे ही पता जाता है। वास्तव में ज्योतिषशास्त्र का रहस्य अथवा वास्तविकता आज भी अस्पष्ट है, या इस विद्या पर अन्धविश्वास हमें हमेशा ही भटकता रहता है। इसी विषय पर तर्कपूर्ण विचार प्रकट कर रहा हूँ।

ज्योतिषशास्त्र वज्योतिषी के ऊपर जो लोग विश्वास करते हैं, वे अपनी आपबीती एवं अनुभवों की बातें सुनते हैं। उन बातों मेंज्योतिषी द्वारा की गई भविष्यवाणी में सच हने वाली घटना का उल्लेख होता है। इन घटनाओं में थोड़ी बहुत वास्तविकता नजर आती है। वहीं कई घटनाओं में कल्पनाओं का रंग चडा रहता है क्योंकि कभी - कभार ज्योतिषी कीभविष्यवाणी सच होती है ? इस सच के साथ क्या कोई संपर्कज्योतिष शास्त्र का है?ज्योतिषियों कीभविष्यवाणी सच होने के पीछे क्या राज है ?ज्योतिषी इस शास्त्र के पक्ष में क्या - क्या तर्क देते हैं ? यह तर्क कितना सही है ?ज्योतिषशास्त्र की धोखाधड़ी के खिलाफ क्या तर्क दिये जाते हैं? इन सब बातों की चर्चा हम जरुर करेंगे लेकिन जिस शास्त्र को लेकर इतना तर्क - वितर्क हो रहा है ; उस बारे में जानना सबसे पहले जरुरी है। तो आइये , देखें क्या कहता हैंज्योतिषशास्त्र।

ज्योतिष को चिरकाल से सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है । वेद शब्द की उत्पति "विद" धातु से हुई है जिसका अर्थ जानना या ज्ञान है ।ज्योतिष शास्त्रतारा जीवात्मा के ज्ञान के साथ ही परम आस्था का ज्ञान भी सहज प्राप्त हो सकता है ।

ज्‍योतिष शास्‍त्र मात्र श्रद्धा और विश्‍वास का विषय नहीं है, यह एक शिक्षा का विषय है।

पाणिनीय-शिक्षा41 के अनुसर''ज्योतिषामयनंयक्षुरू''ज्योतिष शास्त्र ही सनातन वेद का नैत्रा है। इस वाक्य से प्रेरित होकर '' प्रभु-कृपा ''भगवत-प्राप्ति भी ज्योतिष के योगो द्वारा ही प्राप्त होती है।

मनुष्य के जीवन में जितना महत्व उसके शरीर का है, उतना ही सूर्य, चंद्र आदि ग्रहों अथवा आसपास के वातावरण का है। जागे हुए लोगों ने कहा है कि इस जगत में अथवा ब्रह्माण्ड में दो नहीं हैं। यदि एक ही है, यदि हम भौतिक अर्थों में भी लें तो इसका अर्थ हुआ कि पंच तत्वों से ही सभी निर्मित है। वही जिन पंचतत्वों से हमारा शरीर निर्मित हुआ है, उन्हीं पंच तत्वों से सूर्य, चंद्र आदि ग्रह भी निर्मित हुए हैं। यदि उनपर कोई हलचल होती है तो निश्चित रूप से हमारे शरीर पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा,क्योंकि तत्व तो एक ही है। 'दो नहीं हैं। o का आध्यात्मिक अर्थ लें तो सबमें वहीं व्याप्त है, वह सूर्य, चंद्र हों, मनुष्य हो,पशु-पक्षी, वनस्पतियां,नदी, पहाड़ कुछ भी हो,गहरे में सब एक ही हैं। एक हैं तो कहीं भी कुछ होगा वह सबको प्रभावित करेगा। इस आधार पर भी ग्रहों का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। यह अनायास नहीं है कि मनुष्य के समस्त कार्य ज्योतिष के द्वारा चलते हैं।

दिन, सप्ताह, पक्ष,मास, अयन, ऋतु, वर्ष एवं उत्सव तिथि का परिज्ञान के लिए ज्योतिष शास्त्र को केन्द्र में रखा गया है। मानव समाज को इसका ज्ञान आवश्यक है। धार्मिक उत्सव,सामाजिक त्योहार,महापुरुषों के जन्म दिन, अपनी प्राचीन गौरव गाथा का इतिहास, प्रभृति, किसी भी बात का ठीक-ठीक पता लगा लेने में समर्थ है यह शास्त्र। इसका ज्ञान हमारी परंपरा, हमारे जीवन व व्यवहार में समाहित है। शिक्षित और सभ्य समाज की तो बात ही क्या, अनपढ़ और भारतीय कृषक भी व्यवहारोपयोगी ज्योतिष ज्ञान से परिपूर्ण हैं। वह भलीभांति जानते हैं कि किस नक्षत्र में वर्षा अच्छी होती है, अत: बीज कब बोना चाहिए जिससे फसल अच्छी हो। यदि कृषक ज्योतिष शास्त्र के तत्वों को न जानता तो उसका अधिकांश फल निष्फल जाता। कुछ महानुभाव यह तर्क प्रस्तुत कर सकते हैं कि आज के वैज्ञानिक युग में कृषि शास्त्र के मर्मज्ञ असमय ही आवश्यकतानुसार वर्षा का आयोजन या निवारण कर कृषि कर्म को संपन्न कर लेते हैं या कर सकते हैं। इस दशा में कृषक के लिए ज्योतिष ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। परन्तु उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज का विज्ञान भी प्राचीन ज्योतिष शास्त्र का ही शिष्य है।ज्योतिष सीखने की इच्छा अधिकतर लोगों में होती है। लेकिन उनके सामने समस्या यह होती है कि ज्योतिष की शुरूआत कहाँ से की जाये? बहुत से पढ़ाने वाले ज्योतिष की शुरुआत कुण्डली-निर्माण से करते हैं। ज़्यादातर जिज्ञासु कुण्डली-निर्माण की गणित से ही घबरा जाते हैं। वहीं बचे-खुचेभयात/भभोतजैसे मुश्किल शब्द सुनकर भाग खड़े होते हैं।अगर कुछ छोटी-छोटी बातों पर ग़ौर किया जाए, तो आसानी से ज्योतिष की गहराइयों में उतरा जा सकता है।

लेखक एवं संकलन कर्ता: पेपसिंह राठौड़ तोगावास

Friday 27 June 2014

वार



वार

विशेष- चूंकि सृष्टि के आरंभ में सबसे पहले सूर्य (प्रकाश स्रोत) दृष्टिगोचर हुआ इसलिए सूर्य के पहली होरा के स्वामी होने के कारण पहला दिन रविवार होता है। एक होरा एक घंटे की होती है जो ऊपर वर्णित दूरी के क्रम के अनुसार होती है। जिस दिन की प्रथम होरा का जो ग्रह स्वामी होता है उस दिन उसी ग्रह के नाम का वार होता है। इस प्रकार दिनों में रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार का क्रम होता है। ज्सृष्टि का आरंभ विषुवतीय लंका नगरी (मेरु) से माना जाता है। उसी दिन से वार, मास, अयन और वर्ष इत्यादि की गणना होती है- लंकानगरर्यामुदयाञ्च भानोस्तस्थैव वारे प्रथमं वभूव। मधो: सितादेर्दिन मास वर्ष युगादिकानां युगपत्प्रवृत्ति:।।ज्योतिष सिद्धान्त में शनि, वृहस्पति, मंगल, सूर्य, बुध और चंद्रमा की कक्षा क्रमश: निम्नवत वर्णित है। अर्थात शनि की कक्षा सबसे ऊपर तथा चंद्रमा की कक्षा सबसे नीचे है। एक दिन में 24 होराएं होती हैं। इस प्रकार एक होरा का मान एक घंटे होता है। सूर्य सिद्धान्त के अनुसार- मन्दादंध: क्रमेण स्युश्चतुर्था दिवसाधिया:के अनुसार शनि से चतुर्थ सूर्य की होरा होने से प्रथम वार सूर्य एवं सूर्य से चतुर्थ चंद्रमा की होरा होने से द्वितीय वार चंद्र होरा है। इसी प्रकार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु व शनि की प्रवृत्ति हुई। इन सूर्यादि वारों को गुण और स्वभाव के अनुसार दो रूपों में विभक्त किया गया है। चंद्रमा, बुध, गुरु, शुक्र सौम्य संज्ञक एवं सूर्य, मंगल, शनि कू्रर संज्ञक होते हैं। सौम्य संज्ञक वारों में शुभ कार्य एवं कू्रर संज्ञक वारों में कठिन कार्य करना चाहिए।
रविवार-इस दिन पूर्व, उत्तर, आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) यात्रा ग्राह्य है। पश्चिम, वायव्य पश्चिम दिक्शूल है। विज्ञान, इंजीनियरिंग, सेना, उद्योग, बिजली, मेडिकल तथा प्रशासनिक शिक्षा संबंधी कार्यों का शुभारंभ उत्तम माना गया है। इसके अतिरिक्त व्यापार संबंधी कार्यों में राज्य प्रशासनिक कार्य, ज्वेलर्स, औषधि, शस्त्र, अग्नि, अनाज, सोना, ताम्बा, चांदी, गाय, बैल आदि का क्रय-विक्रय, मंत्रानुष्ठान और यज्ञादि कार्य शुभ माने जाते हैं।
सोमवार- यात्रा में शुभ दिशाएं पश्चिम, दक्षिण, वायव्य (उत्तर-पश्चिम) है। यात्रा में त्याज्य दिशा पूर्व, उत्तर, आग्नेय दिशा है। विद्या संबंधी कार्यों में लेखन कार्य, सौन्दर्य प्रसाधन, औषधि निर्माण व योजना संबंधी कार्य उत्तम। व्यापार संबंधी कार्यों में कृषि, गाय, भैंस, दूध, दही, डेयरी फार्म, औषधि, तरल पदार्थ, शंख, मोती, धन-संपदा, सौन्दर्य प्रसाधन, सुगधित पदार्थों का क्रय-विक्रय तथा पत्राचार के कार्य शुभ हैं।
मंगलवार- दक्षिण, पूर्व, पूर्व-दक्षिण दिशाएं यात्रा में शुभ । उत्तर-पश्चिम, उत्तर, पश्चिम दिशा त्याज्य। विद्या एवं शिक्षा संबंधी कार्यों में बिजली, सर्जरी, शस्त्र विद्या सीखना, भूगर्भ विज्ञान, दंत चिकित्सा का कार्य उत्तम। व्यापार संबंधी कार्यों में बिजली से संबंधित कार्य, बेकरी, स्पोर्टस, सोना, तांबा, मूंगा, पीतलादि का क्रय, भूमि, सर्जरी तथा रक्षा सामग्री आदि के कार्य शुभ ।
बुधवार- यात्रा में दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) शुभ । उत्तर, पश्चिम, ईशान (पूर्व-उत्तर) दिशा त्याज्य। विद्या एवं शिक्षा संबंधी कार्यों में गणित, लेखनादि, बौद्धिक कार्य, बैंक, वकालत, तकनीकी, ज्योतिष, विज्ञान, वाहन चलाना आदि उत्तम। व्यापार संबंधी कार्यों में कृषि, व्यापारिक वस्तुओं का क्रय-विक्रय, शेयरों का क्रय-विक्रय, पुस्तक लेखन, प्रशासन, लेखाकार्य, शिक्षण, वकालत, शिल्प एवं संपादन कार्य, वाहन क्रय-विक्रय उत्तम।
गुरुवार- यात्रा में पूर्व, उत्तर, ईशान दिशा ग्राह्य। दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य दिशा त्याज्य। विद्या एवं शिक्षा संबंधी कार्यों में दर्शन शास्त्र, धर्म, तंत्र, ज्योतिष, वकालत, वैद्यक कार्य उत्तम और व्यापार संबंधी कार्यों में धार्मिक अनुष्ठान, शिक्षा के कार्य, आभूषण, औषधि, वाहन, भूमि का लेन-देन, विदेश गमन शुभ।
शुक्रवार- यात्रा में पूर्व, उत्तर, ईशान दिशा ग्राह्य। पश्चिम, दक्षिण, नैऋत्य दिशा त्याज्य। विद्या एवं शिक्षा संबंधी कार्यों में नृत्य, वाद्य, गायन, कला, संगीत, अभिनय, गीत, काव्य रचना, सौन्दर्य संबंधी शिक्षा तथा व्यापार संबंधी कार्यों में संगीत, सिनेमा, आभूषण व खुशबूदार वस्तुओं का क्रय-विक्रय उत्तम।
शनिवार- पश्चिम, दक्षिण, नैऋत्य दिशा ग्राह्य। पूर्व, उत्तर व ईशान दिशा त्याज्य। विद्या एवं शिक्षा संबंधी कार्यों में तकनीकी, शिल्प, कला, मशीनरी व ज्ञान संबंधी अंग्रेजी भाषा, उर्दू, फारसी का ज्ञान प्रारंभ करना शुभ तथा व्यापार संबंधी कार्यों में मशीनरी, लोहा, लकड़ी, चमड़ा, सीमेंट, तेल, पेट्रोल, पत्थर, भूमि, ठेकेदारी, शस्त्रों का क्रय-विक्रय, आपरेशन कार्य, वाहन प्रयोग व विदेश यात्रा उत्तम।
एक सप्ताह में सात दिन होते हैं:-सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार,रविवार
कोई भी कार्ये करने से पहले हम शुभ वार  तिथि अथवा नक्षत्र देखते है , किसी भी कारण वश हम

आप इन 7 दिनों में  नोकरी ,सगाई ,वाहन ,मशीनरी ,आभूषण खरीदना ,कर्ज लेना या देना निचे दिए गए


सोमवार। …...
चंद्रवार इंदुवार पीर, अंग्रेज़ी : Monday, फ्रांसीसी : lundi
 सोमवार को सप्ताह का पहला दिन भी कहा जाता है । हिन्दू धर्म में सोमवार को भगवान शिव को समर्पित दिन माना जाता है। जापान में सोमवार को 'गेतसुयोबी' अर्थात 'चाँद का दिन' माना जाता है। रोमन केलैंण्डर में दूसरे दिन को 'चाँद का नाम' ... आभूषण खरीदना ,बनाना ,बीज बोना ,ऋण देवे

बुधवार। .......  वेद अध्यन ,प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना , नया पुराना वाहन खरीदना

शुक्रवार। ….... नाच गाना [शूटिंग ] कर्ज लेने जाना
शनिवार। …… नौकरी पर जाना ,मशीनरी कार्ये आरम्भ करना ऑपरेशन कराना ,और स्थिर कार्य करना 
कौन-सा वार अच्छा और कौन-सा बुरा?
ज्योतिषीय शोध से पता चला है कि कौन से दिन कौन-सी घटनाएं ज्यादा या कम होती है। हालांकि इस तरत का एक सर्वे भी हुआ है। शास्त्रों में भी वार और तिथि का बहुत महत्व है। ज्योतिष अनुसार प्रत्येक वार अलग अलग कार्यों के लिए नियुक्ति है। हालांकि अभी इस संबंध में ओर शोध किए जाने की जरूरत है। इस शोध का निचोड़ यहां प्रस्तुत है।

1. सोमवार : सोमवार को निवेश करना अच्छा माना गया है। यदि आप सोना, चांदी या शेयर में निवेश करने का सोच रहे हैं तो सोमवार को चुने।

2. मंगलवार : मंगलवार सेक्स के लिए खराब है। इस दिन सेक्स करने से बचना चाहिए। मंगलवार को बहुत से धर्मों में ब्रह्मचर्य का दिन भी माना जाता है। इस दिन आप अच्छे से सेक्स भी नहीं कर पाएंगे। यह दिन शक्ति एकत्रित करने का दिन है।

3. बुधवार : सर्वेक्षण से पता चला कि सोमवार और शनिवार जहां ऑफिस में कर्म कार्य होता है। वहीं मंगलवार को ज्यादा, लेकिन ऑफिस में बुधवार को सबसे श्रेष्ठ दिन घोषित किया गया है।

4. गुरुवार : यदि आप किसी बुरी लत के शिकार है - जैसे सिगरेट, तंबाखू, शराब आदि तो उसे छोड़ने के लिए आप गुरुवार को चुने, क्योंकि गुरुवार को छोड़ते वक्त आपमें संकल्प की अधिकता होती है और यह पवित्र दिन भी है। तो गुरुवार को आदत छोड़ने का दिन माना गया है।

5. शुक्रवार : शुक्रवार सेक्स के लिहाज से अच्छा दिन है, लेकिन सर्वे से पता चला है कि शुक्रवार नौकरी से निकाले जाने का दिन भी। इसलिए अच्छा यह भी है कि आप इस दिन खट्टा न खाएं तो आपके साथ अच्‍छा ही होगा।

6. शनिवार : शनिवार को क्षमा मांगने का दिन भी माना जाता है, लेकिन सर्वे से यह पता चला कि बच्चों को जन्म देने के लिए शनिवार बेहतर है। शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है। इससे आपके अच्छे भले जीवन में तूफान आ सकता है।

7. रविवार : रविवार अच्छे-अच्छे पकवान खाने के लिए उत्तम दिन है, लेकिन सर्वे कहता है कि खाना बनाने के लिए रविवार सबसे खराब दिन है। इसका मतलब यह कि महिलाएं चाहती है कि इस दिन हमें भी किचन से छुट्टी मिलें।
रविवार, मंगलवार और गुरुवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है।
वार के अनुसार कैसा होगा आपका भविष्य और स्वभाव..
व्यक्ति जिस वार को पैदा होता है उस दिन का प्रभाव भी उस पर पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार सप्ताह के सातों के संबंधित ग्रह अलग-अलग है। अत: सातों दिन पैदा होने वाले लोगों के स्वभाव भी अलग-अलग ही होते हैं। जानिए व्यक्ति का जन्म किस दिन है उसके अनुसार व्यक्ति का स्वभाव:
रविवार: जिन लोगों का जन्म रविवार के दिन हुआ है वे सामान्यत: भाग्यशाली रहते हैं। इनकी आयु भी अधिक रहती है। कम बोलने वाले ये लोग कला और शिक्षा के क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। साथ ही ये लोग धर्म में रूचि रखते हैं और घर-परिवार के सदस्यों को खुश रखने का प्रयास करते हैं। सामान्यत: ये लोग 20 से 22 वर्ष की आयु तक कष्ट झेलते हैं।
सोमवार: सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति हंसमुख और मीठा बोलने वाले होते हैं। सुख-दुख में सम भाव रखते हैं। विद्यावान, कला कुशल और बहादुर होते हैं। ये लोग कफ रोगों से परेशान रहते हैं। बीमारियों के कारण कमजोरी बनी रहती है। इन लोगों के लिए 9, 12, 27 वर्ष की आयु में कुछ परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। सामान्यत: इनका जीवन ऐश और आराम से व्यतित होता है।
मंगलवार: जिन लोगों का जन्म मंगलवार के दिन हुआ है वे धनी होते हैं। सामान्यत: इन लोगों का स्वभाव उग्र होता है, इसी कारण ये लोग अपने आसपास रहने वाले कई लोगों से नाराज रहते हैं। इन्हें ब्लड और स्कीन से संबंधित रोग हो सकते हैं।
बुधवार: बुधवार के दिन जन्म लेने वाले लोग सामान्यत: धर्म-कर्म में ध्यान लगाने वाले होते हैं। ये बुद्धिमान और मधुर भाषी होते हैं। विद्वान और धार्मिक जीवन जीने वाला इनका स्वभाव होता है। माता-पिता से विशेष प्रेम रखते हैं। 8 और 22 वर्ष की आयु में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
गुरुवार: जिन लोगों का जन्म गुरुवार के दिन हुआ है वे बुद्धिमान होते हैं। पराक्रमी होते हैं, किसी भी मुश्किल समय का सामना बड़ी ही समझदारी और साहस के साथ करते हैं। इन लोगों के मित्र अच्छी संगती वाले होते हैं। मित्रों की ओर से सदैव प्रसन्न रहते हैं। 7, 12, 13, 16 और 30 वर्ष की आयु में संकट का सामना करना पड़ सकता है।
शुक्रवार: शुक्रवार का दिन व्यक्ति को हंसमुख स्वभाव देता है। ये लोग बुद्धिमान और मधुरभाषी होते हैं। सहनशीलता के कारण कठिन समय का सामना भी अच्छे से कर लेते हैं। ऐश्वर्यपूर्ण जीवन इन लोगों को काफी पसंद होता है। कला के क्षेत्र में ये लोग खास मुकाम हासिल करते हैं। 20 और 24 वर्ष की आयु में इन्हें कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
शनिवार: जिन लोगों का जन्म शनिवार के दिन हुआ है वे कृषि या व्यापार में विशेष रूचि रखते हैं। छोटी आयु में कुछ परेशानियां हो सकती हैं। इन लोगों को मित्रता में सावधान रहने की आवश्यकता होती है। माता-पिता, भाई-बहनों की ओर से इन्हें पूर्ण सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। इन लोगों को 20, 25 और 45 वर्ष की आयु में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
वार अनुसार करें उपवास
उपवास के
द्वारा हम मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शान्ति प्राप्ति कर सकते
हैं, इसी के साथ यह रोग व तमाम तरह की व्याधियों से दूरी बना
पाने में सहज ही सफलता पा सकते हैं। अपने कर्म के अनुसार सभी
को सप्ताह में एक बार उपवास अवश्य रखना चाहिए। सप्ताह का हर
दिन स्वयं में मंगलकारी होता है।


सोमवार-
सोमवार के दिन उन
लोगों को उपवास रखना चाहिए जिनका स्वभाव ज्यादा उग्र होने की
वजह से ज्यादा गुस्सा आता हो। सोमवार का दिन चन्द्रमा का होता
है। इसी दिन सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा की अवस्था इस तरह की
होती है कि हमारे शरीर पर उसका शान्तिदायक प्रभाव पड़ता है।


मंगलवार-
हर कार्य में
मंगलकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए मंगलवार का उपवास रखना
चाहिए।
बुधवार- कमजोर मस्तिष्क वाले एवं
आत्मिक ज्ञान प्राप्त करने वाले इच्छुक व्यक्तियों को बुधवार
के दिन उपवास रखना चाहिए क्योंकि बुधवार का दिन बुद्धि
प्राप्ति का दिन होता है।


गुरुवार-
उथली व छिछली
मानसिकता वाले व्यक्तियों को बृहस्पतिवार का उपवास अवश्य रखना
चाहिए।


शुक्रवार-
शीघ्रपतन, प्रमेह रोग
के रोगियों को शुक्रवार के दिन उपवास रखना चाहिए क्योंकि
शुक्रवार ओज, तेजस्विता, शौर्य, सौन्दर्यवर्धक और शुक्रवर्धक
होता है।


शनिवार-
समस्त दुःखों एवं
परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन उपवास रखना
चाहिए।


रविवार- रविवार सूर्य का दिन
होता है। अच्छा स्वास्थ्य व तेजस्विता पाने के लिए रविवार के दिन उपवास रखना चाहिए।

ध्यान रखें कि केवल एक दिन के उपवास के लिए पूर्व में किसी भी तैयारी की
आवश्यकता नहीं पड़ती है। एक दिन का उपवास कभी भी किया जा सकता
है। उपवास रखने के दूसरे दिन सुबह मौसंबी, संतरा, गाजर, लौकी
के रस से या सब्जियों के सूप से उपवास तोड़ना चाहिए। जो लोग
केवल पानी पर निर्भर रहकर उपवास रहते हैं, ऐसे लोग नींबू पानी,
शहद या फलों के रस पर निर्भर रहकर उपवास रख सकते हैं।
किस दिन क्या करें, क्या न करें?
सोमवार
-इस दिन का स्वामी ग्रह सौम्य चंद्रमा है। विवाह, नामकरण, गृह-निर्माण, विद्यालय में प्रवेश के लिए यह वार शुभ है। इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे सज्जन होते हैं। अगर इस दिन दक्षिण की दिशा में यात्रा की जाए तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है।
मंगलवार
-इस दिन का स्वामी ग्रह सेनापति मंगल है। यह शुभ-अशुभ के मिले-जुले प्रभावों वाला दिन है। यह दिन किसी काम के लिए शुभ है तो कुछ बातों के लिए अशुभ। मकान की खरीद-बिक्री करना, वस्त्र खरीदना, सिलवाना ठीक नहीं। इस दिन जन्म लेने वाले जातक क्रोधी स्वभाव के होते हैं। पूर्व व दक्षिण दोनों की दिशाओं में यात्रा में कोई कठिनाई नहीं आती।
बुधवार
-इस दिन का स्वामी ग्रह कुमार बुध है। यह शुभ वारों की श्रेणी में आता है। इस दिन पूर्व और पश्चिम की यात्रा में कोई परेशानी नहीं आएगी। गृह प्रवेश, हल चलाने, अध्ययन आरंभ करने व नए कपड़े पहनने के लिए यह दिन उत्तम है। इस दिन जन्म लेने वाले जातक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।
गुरुवार या बृहस्पतिवार
-इस दिन का स्वामी ग्रह गुरु बृहस्पति है। यह दिन भी सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन से प्रारंभ किए गए सभी कार्य सफल सिद्ध होते हैं। इस दिन किसी भी दिशा की यात्रा शुभ फलदायक सिद्ध होती है। इस दिन जन्म लेने वाले जातक सद्गुणी, धार्मिक व तेजस्वी होते हैं।
शुक्रवार
-इस दिन का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस दिन जन्म लेने वाले जातक रसिक स्वभाव के होते हैं। विलासितापूर्ण जीवन बिताने में दिलचस्पी रखते हैं। इस दिन सूर्यास्त के पश्चात् की गई यात्राएं सफल होती हैं। इस दिन शाम को प्रारंभ किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
शनिवार
-इस दिन का स्वामी ग्रह पाप ग्रह शनि है। समस्त वारों में इसे सबसे अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन आरंभ किया गया कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाता अथवा लटकता रहता है। इस दिन यात्रा करने से भी सफलता की संभावना कम होती है। इस दिन जन्म लेने वाले जातक भी अधिकतर रोगग्रस्त ही रहते हैं।
रविवार
-साधारण अथवा आम बोलचाल की भाषा में इसे बंद वार भी कहते हैं। इस वार का स्वामी ग्रह तेजस्वी सूर्य है। सभी प्रकार के कार्यों के लिए यह दिन शुभ है। इस वार को जन्म लेने वाले जातक भाग्यशाली होते हैं। अगर इस दिन पूर्व की दिशा में यात्रा की जाती है तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है।
इंसान को मंगलवार, गुरुवार और रविवार के दिन नमक नहीं खाना चाहिए, क्यों की इससे इंसान के  स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और प्रत्येक काम में बाधा आती है।
मंगलवार के दिन हनुमानजी को सिंदूर व चमेली का तेल चढ़ाकर या नया चोला चढ़ाने से सभी प्रकार की बाधा दूर होती है।
बुधवार  के दिन माता को अपना सिर नहीं धोना चाहिए, ऐसा करने से बच्चे को कोई भी कष्ट आ सकता है और स्वास्थ्य बिगड़ता है।
मंगलवार के दिन किसी को भी ऋण नहीं देना चाहिए, नहीं तो वह  ऋण आसानी से नहीं मिलता।
मंगलवार को ऋण चुकाने के लिए अच्छा दिन माना जाता है। ऐसा करने से कभी भी ऋण  लेने की जरुरत नहीं पड़ती।
बुधवार के दिन धन को जमा करने से अपने धन में इज़ाफ़ा होता है और इस दिन कोई भी लेंन-देंन नहीं करना चाहिए।
गुरुवार के दिन शेविंग नही  करना चाहिए नहीं तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है।

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