शुभ मुहूर्त :-
भूमि/ प्लाट क्रय विक्रय मुहूर्त :- भूमि एवं प्लाट खरीदने या बेचने हेतु वैशाख , ज्येष्ठ, अषाढ़ , मार्गशीर्ष,
माघ, व् फाल्गुन
मास की द्वितीय, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी व्
पूर्णिमा तिथि में बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार,
शनिवार, रविवार, सोमवार,
अदि वारों में मृगशिरा, अश्लेशा, मघा, विशाखा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद, मूल,
रेवती, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, हस्त, चित्रा,
स्वाति, शतभिषा, नक्षत्र
उत्तम रहते हैं |
सिद्ध योग देखना
अगर शुक्रवार को नंदा तिथि पड़ती हो
, बुधवार को भद्रा तिथि पड़ती हो , शनिवार को
रिक्त तिथि पड़ती हो ,
मंगलवार को जया तिथि पड़ती हो
तथा गुरूवार को पूर्णा तिथि पड़ती हो तो
उस दिन सिद्ध मुहूर्त होता है | नंदा तिथि, भद्रा तिथि, रिक्ता तिथि, जया
तिथि तथा पूर्णा तिथि के बारे में जानने के लिए कृपया
पंचांग एवं कलेंडर के वेबपेज पर देखें |
मृत्यु योग देखना
अगर रविवार व् मंगलवार को नंदा तिथि पड़ती हो
, सोमवार व् शुक्रवार को भद्रा तिथि पड़ती हो , गुरूवार को रिक्ता तिथि पड़ती हो , शनिवार को पूर्णा तिथि पड़ती हो, तथा बुधवार,
को जया तिथि पड़ती हो तो मृत्यु योग बनता है | नंदा तिथि, भद्रा तिथि,
रिक्ता तिथि, जया तिथि तथा पूर्णा तिथि के बारे में जानने के लिए कृपया पंचांग एवं कलेंडर के वेबपेज पर देखें |
वस्तु या चीज खरीदने बेचने का मुहूर्त
तीनों पूर्वा, विशाखा, भरनी, कृतिका, अश्लेषा,
नक्षत्र तथा शुभ दिन शुक्र, गुरु, सोमवार, बुधवार, आदि इन वारों
में वस्तु या चीज को बेचना चाहिये | तथा चित्रा, रेवती, स्वाति,
शतभिषा, अश्विनी, धनिष्ठा,
श्रवण नक्षत्रों में एवं और गुरूवार, शुकवार,
सोमवार, बुधवार, इन
वारों में वस्तु या चीज खरीदना चाहिये यह शुभ रहता है |
औषधि या इलाज कराने या दवाई शुरू करने का मुहूर्त
रेवती, अश्विनी, पुनर्वशु, पुष्य, चित्रा,
स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा,
शतभिषा, अनुराधा, मूल,
मृगशिरा, इन नक्षत्रों में दवाई या इलाज शुरू करने से जल्दी रोग दूर हो जाता है एवं शुभ रहता है |
कुआ पूजने का मुहूर्त
कुआ पूजन वर्ष के चैत्र, पौष, मास तथा पुरसोत्तम मास को छोड़कर सभी महीनों की २, ३,
५, ६, ७, ८, १०, ११, १२, १३, एवं पूर्णिमा
तिथियों को तथा सोमवार, बुधवार,
गुरूवार, शुभ वार रहते हैं | मूल, श्रवण, मृगशिरा, पुनर्वशु, पुष्य, हस्त,
अनुराधा, आदि नक्षत्र शुभ रहते हैं|तथा मेष, कर्क, सिंह,तुला, व् मकर, लग्न शुभ रहते
हैं |
गृह आरम्भ करने या नींव धरने का मुहूर्त
गृह आरम्भ करने या नींव धरने
के लिए शुभ तिथि , वार, नक्षत्र,
लग्न आदि निम्न प्रकार से हैं :
शुभ महीने : श्रावण , वैशाख, कार्तिक, मार्गशीर्ष, फाल्गुन
मास नींव धरने के लिए उत्तम रहते हैं |
शुभ तिथियाँ : उपरोक्त सभी महीनों की शुभ तिथि , २, ३, ५, ६, ७, १०, ११, १२, १२, एवं पूर्णिमा तिथि नीवं धरने के लिए शुभ रहती हैं | शुभ वार : सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार,
व् शनिवार, आदि उत्तम रहते हैं |
शुभ नक्षत्र : मृगशिरा, रेवती, शतभिषा, चित्रा, पुष्य,
अनुराधा, रोहिणी, तीनो
उत्तरा, हस्त, स्वाति व् धनिष्ठा
नक्षत्र उत्तम रहते हैं | शुभ
लग्न : वृष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ, आदि की स्थिर लग्न | उपरोक्त सभी घटकों में नींव धरना या गृह आरम्भ करना शुभ रहता है |
गृह प्रवेश मुहूर्त
गृह प्रवेश उत्तरायण काल में शुभ रहता है | गृह प्रवेश वैशाख , ज्येष्ठ, मार्गशीर्ष,
माघ,एवं फाल्गुन मास
, इन सभी महीनों की २, ३, ५, ६, ७, १०, ११, १३, एवं पूर्णिमा तिथि
व् सोमवार, बुधवार, गुरूवार,
शुक्रवार, व् शनिवार, शुभ रहते हैं |
शुभ नक्षत्र : रोहिणी, मृगशिरा, तीनो, उत्तरा,
चित्रा, अनुराधा, व्
रेवती, तथा जन्म लग्न से ३, ६,
१०, ११ वें पड़ने
वाली स्थिर लग्न शुभ रहती हैं |
चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरना व् शपथ लेने के लिए
मुहूर्त
पंच , सरपंच, पार्षद, प्रधान, विधान सभा,
लोक सभा, राष्ट्रपति, अध्यक्ष
आदि के लिए चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरने
के लिए तथा जीतने पर शपथ
ग्रहण करने आदि के लिए शुभ मुहूर्त जरूरी होता है |
इसके लिए शुभ मुहूर्त के लिए :
शुभ तिथियाँ : २, ३, ५, ९, १०, १२, तथा पूर्णिमा तिथि
अच्छी रहती हैं |
शुभ वार : सोमवार,
बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार,
शुभ रहते हैं |
शुभ नक्षत्र : अश्विनी,
रोहिणी, पुनर्वशु, पुष्य,
तीनों उत्तरा , हस्त, अनुराधा,
श्रवण, धनिष्ठा, रेवती,
उपरोक्त नक्षत्र मुहूर्त के लिए शुभ रहते हैं |
शुभ लग्न : मेष, कर्क, तुला, मकर, लग्न शुभ रहती हैं
आवश्यक मुहूर्त
1. दुकान खोलना या बाजार लगाना-विशाखा, कृतिका, तीनों उत्तरा, रोहिणी,
हस्त, अश्विनी एवं पुष्य नक्षत्रों में,
रिक्ता तिथि मंगलवार और कुंभ लग्न छोड़कर शेष तिथि, वार और लग्न में दुकान खोलना व बाजार लगाना अच्छा है।
2. नौकरी- हस्त, अश्विनी, पुष्य, मृगशिरा,रेवती, चित्रा, अनुराधा-नक्षत्रों में, बुध, शुक्र, रवि और हस्पतिवार
में तिथि कोई भी हो, तो ऐसे समय में नौकरी करना अच्छा है।
परन्तु मालिक के नाम से योनि मैत्री-राशि मैत्री और वर्ग मैत्री मिलान कराना जरूर
है।
3. सामान खरीदना- रिक्ता तिथि न हो,वार
कोई भी हो, रेवती, शतभिषा, अश्विनी, स्वाति, श्रवण और
चित्रा नक्षत्र शुभ है।
4. सामान बेचना- रिक्ता तिथि न हों, तीनों
पूर्वा, विशाखा, कृतिका, आश्लेषा और भरणी नक्षत्र अच्छे हैं, पर कुंभ हो तो
अच्छा है।
5. आरोग्य स्नान- शुक्र और सोमवार को छोड़कर अन्य वारों में,
और तीनों उत्तरा-रोहिणी को छोड़कर अन्य नक्षत्रों में तथा चर लग्न
में स्नान शुभ है। लग्न से केन्द्र, त्रिकोण और ग्यारहवे में
पापग्रह रहना शुभ है।
6. प्रथम ऋतुमती स्त्री का स्नान- हस्त, स्वाति, अश्विनी, मृगशिरा अनुराधा,
धनिष्ठा, ज्येष्ठा, तीनों
उत्तरा व रोहिणी नक्षत्र में और शुभ तिथि तथा शुभ दिन में स्नान शुभ है। यदि
मृगशिरा, रेवती, स्वाति, हस्त, अश्विनी और रोहिणी में स्नान करें तो शीघ्र
गर्भ की स्थिति होती है। नवीन वस्त्र धारण- तीनों उत्तरा, रोहिणी,पुष्य, पुनर्वसु, रेवती,
अश्विनी, हस्त, चित्रा,
स्वाति,विशाखा, अनुराधा
और घनिष्ठा, नक्षत्रों में मूंगा,सोना,
हाथी दाँत की वस्तु धारण करना शुभ है।शनि, सोम
और मंगलवार एवं 4, 9, 14 तिथि मना है।
7. ऋण देना व ऋण लेना- स्वाति, पुनर्वसु,विशाखा, पुष्य, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, अश्विनी,मृगशिरा, रेवती, चित्रा,
अनुराधा नक्षत्र हों, पंचम-नवम में शुभ ग्रह;
किन्तु आठवें में कोई ग्रह न हों और सोम,गुरु,
शुक्रवार हो तो ऋण का लेन-देन कर सकते हैं।
8. प्रसूति का स्नान- रेवती, मृगशिरा,
हस्त, स्वाति, अश्विनी,
अनुराधा, तीनों उत्तरा और रोहिणी नक्षत्रों
में तथा रवि, भौम और बृहस्पति को स्नान शुभ है। आद्र्रा,
पुनर्वसु, पुष्य, श्रवण,
मधा, भरणी, मूल, विशाखा, कृत्तिका, चित्रा
नक्षत्र, बुध, शनिवार, अष्टमी और षष्ठी और रिक्ता तिथि में प्रसूती स्नान शुभ नहीं हैं शेष
वारादिक में मध्यम है।
9. अग्नि-वास- जिस दिन हवन करना हो, उस
दिन हवन-समय की तिथि-संख्या में रव्यादिवार-संख्या के योग मे1 जोड़कर 4 से भाग दें। शेष 0 या
3 बचे तो अग्नि का वास पृथ्वी मंे रहता है, हवन सुखदायक होता हैं। 1 शेष बचे तो अग्नि-देव
स्वर्ग में रहते हैं, उस दिन हवन करना प्राण नाशक होता है। 2
शेष बचे तो अग्नि का वास पाताल में रहता है, उस
तिथि में हवन करने से धन का नाश होता है।
10. बही खाता लिखने का प्रारंभिक मुहूर्त --अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य,
तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा,
अनुराधा, मूल, श्रवण,
रेवती नक्षत्र के साथ रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार,
2, 3, 5, 7, 8, 10, 11, 12, 13, 15 तिथियाँ हों तो चर लग्न एवं
द्विस्वभाव लग्न में बही खातालेजर लिखना आरंभ करना चाहिये। केन्द्र-त्रिकोण में
शुभग्रह रहना ठीक है।
11. अर्जी-दावा दायर करने का मुहूत्र्त- भद्रा, वैद्यृति, व्यतीपात सहित रिक्ता तिथि 4, 9,
14, मंगलवार, शनिवार को भरणी, कृत्तिका, आद्र्रा, आश्लेषा,
मधा, पू० फा०, विशाखा,
ज्येष्ठा, पू० षा०, धनिष्ठा,
शतभिषा और पू० भा० नक्षत्र मिले तो चर लग्न में नालिश-अर्जी-दावा
दायर करना चाहिये।
12. घर के किस तरफ कुआँ है, क्या फल देता है?-
घर के बीच में कुआँ बनाने से धन की हानि, ईशान
कोण में पुष्टि, पूर्व में ऐश्वर्य वृद्धि, अग्नि कोण में पुत्र-नाश, दक्षिण में स्त्री नाश,
नैऋत्य में गृह-कर्ता की मृत्यु, परिश्रम में
शुभ, वायव्य में शत्रु से पीड़ा और उत्तर में सुख होता है।
अतः घर के उत्तर, पूर्व, पश्चिम तथा
उत्तर-पूर्व कोण पर कुआँ शुभ होता है।
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