नक्षत्र एवं उनके प्रकार
नक्षत्र
:
आकाश में कई लघु तारा समूह आकृति में अश्व, स्वान, सर्प, मृग, हाथी, जैसे दिखाई देते हैं उन्हें नक्षत्र कहते हैं | ये
नक्षत्र पृथ्वी मार्ग में चन्द्र द्वारा तय की गयी दूरी
प्रकट करते हैं | एक नक्षत्र १३ अंश २०’ कला का होता है | प्रत्येक नक्षत्र चार चरण का होता है अतः नक्षत्र के एक चरण की दूरी १३ अंश २०’ कला /४
= ३ अंश २०’कला होती है | सवा दो
नक्षत्र अर्थार्त ९ चरण की एक राशि होती है | चन्द्र २.२५ दिन में एक राशि पार कर लेता है यानी ३० अंश पार कर लेता है|
सत्ताईस दिन में सभी १२ राशियाँ और २७
नक्षत्र पार कर लेता है | चन्द्र यात्रा मार्ग में कुल २७
नक्षत्र हैं मगर ज्योतिषाचार्यों का मत है कि उत्तरा-आषाढ़ नक्षत्र की अंतिम १५ घटी और श्रवण नक्षत्र की प्रथम ४ घटी कुल १९ घटी का अभिजीत नामक
एक २८ वां नक्षत्र भी है | यह सभी शुभ कार्यों के लिए अच्छा रहता है
स्वभाव के आधार पर नक्षत्रों को सात श्रेणियों में बाँटा गया है :
१. स्थिर नक्षत्र : रोहिणी, उत्तर-फाल्गुनी,उत्तरा-आषाढ़, उत्तरा-भाद्रपद,(४,१२,२१,२६)
ये चार नक्षत्र स्थिर होते हैं | भवन निर्माण, कृषि कार्य, ग्रह
प्रवेश, नौकरी ज्वायन करना, उपनयन
संस्कार आदि के लिए शुभ होते हैं |
२. चर(चंचल) नक्षत्र : पुनर्वशु, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा,(७,१५,२२,२३,२४,) ये पांच नक्षत्र चर अथवा चंचल प्रकृति के होते हैं | मोटरकार चलाना या खरीदना,
घुड़सवारी करना, यात्रा करना आदि गतिशील
कार्यों के लिए शुभ रहते हैं |
३. क्रूर(उग्र) नक्षत्र : भरनी, मघा, पूर्वा-फाल्गुनी, पूर्वा-आषाढ़, पूर्वा-भाद्रपद, (२,१०,११,२०,२५) ये पांच नक्षत्र क्रूर अथवा उग्र प्रकृति
के होते हैं | सर्जरी करना, भट्टे
लगाना, अस्त्र-शस्त्र चलाना व्यापार करना, खोज कार्य करना, शोध कार्य करना, मारपीट करना, आग जलाना,
आदि के लिए शुभ रहते हैं |
४. मिश्र (साधारण) नक्षत्र : कृतिका, विशाखा,(३,१६) ये दो नक्षत्र मिश्र अथवा साधारण प्रकृति के
होते हैं | बिजली सम्बन्धी कार्य,
दवाई बनाने का कार्य, लोहा भट्टी, गैस भट्टी, भाप इंजन आदि के कार्य करने शुभ रहते हैं
|
५. लघु नक्षत्र : अश्विनी, पुष्य, हस्त,(१,८,१३,) ये तीन नक्षत्र लघु
प्रकृति के होते हैं | नाटक, नौटंकी,रूपसज्जा, गायन, दूकान,शिक्षा,लेखन,प्रकाशन, आभूषण, आदि के कार्यों को करने के लिए शुभ रहते हैं |
६. मृदु (मित्रवत) नक्षत्र : मृगशिरा,चित्रा, अनुराधा, रेवती,(५,१४,१७,२७) ये चार नक्षत्र मृदु
अथवा मित्रवत प्रकृति के होते हैं | कपडे बनाना, सिलाई कार्य,खेल,
आभूषण बनवाना, सेवा कार्य,व्यापार,सत्संग आदि कार्य करना शुभ रहते हैं |
७. तीक्ष्ण (दारुण) नक्षत्र : आद्रा,आश्लेषा,ज्येष्ठा, मूल,(६,९,१८,१९) ये चार नक्षत्र तीक्ष्ण अथवा दुखदायी प्रकृति
के होते हैं |लड़ाई-झगड़े करना, जानवरों को वश में
करना, कोई हानिकारक कार्य करना, जादू-टोना
करना आदि कार्य शुभ रहते हैं |
शुभाशुभ फल के आधार पर नक्षत्रों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया
है |
१. शुभ फलदायी नक्षत्र : १,४,८,१२,१३,१४,१७,२१,२२,२३,२४,२६,२७, कुल १३ नक्षत्र शुभ फलदायी होते हैं |
२. मध्यम फलदायी नक्षत्र : ५,७,१०,१६,
कुल चार नक्षत्र मध्यम फलदायी होते हैं |
३. अशुभ फलदायी नक्षत्र : २,३,६,९,११,१५,१८,१९,२०,२५, कुल १० नक्षत्र अशुभ फलदायी होते हैं |
चोरी गयी वस्तु प्राप्ति अथवा अप्राप्ति के आधार पर नक्षत्रों को
चार भागों में बाँटा गया है :
१. अंध लोचन नक्षत्र : ४,७,१२,१६,२०,२३,२७, ये सात अंध लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | इन नक्षत्रों
में खोई या चोरी गई वस्तु पूर्व दिशा में जाती या होती
है एवं शीघ्र/ जल्दी मिल जाती है |
२. मंद लोचन नक्षत्र :१,५,९,१३,१७,२१,२४, ये सातनक्षत्र मंद लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | खोई
हुई वस्तु या चोरी गई वस्तु पश्चिम दिशा में जाती या
होती है एवं प्रयत्न करने पर मिल जाती है |
३. मध्य लोचन नक्षत्र :२,६,१०,१४,१८,२५, ये छः नक्षत्र मध्य
लोचन नक्षत्र कहलाते हैं | इन नक्षत्रों में चोरी गई या खोई वस्तु दक्षिण दिशा में जाती या होती है तथा सूचना मिलने या मालूम होने
पर भी नहीं मिलती है |
४. सुलोचन नक्षत्र :३,८,११,१५,१९,२२,२६, ये सात नक्षत्र सुलोचन नक्षत्र कहलाते हैं | इन
नक्षत्रों में चोरी गई या खोई वस्तु उत्तर दिशा में
जाती या होती है | उत्तर दिशा में जाने वाली वस्तु की न तो
कोई जानकारी या सूचना मिलती है और न ही वो वस्तु वापिस
मिलती है |
नक्षत्र एवं उसमें जन्मे बालक का नक्षत्र फल
नक्षत्र जन्म फल :-
अश्वनी नक्षत्र :धनी, हंसमुख, सुंदर, बुद्दिमान,
अच्छी पोशाक, आभूषण पहनने का शौक़ीन, गठीला शरीर, जनप्रिय | हर काम में होशियार | परोपकारी, यशस्वी,
वाहन एवं नौकर युक्त| भाग्योदय २० वर्ष बाद ,
यशस्वी, एश्वर्य संपन्न, नम्र स्पष्ट वक्ता अस्थिर चरित्रवान | स्वार्थपूर्ति के लिए विश्वासघात भी कर ले | क्रूर
गृह की दशा में सूर्य, मंगल व् गुरु के अंतर में शत्रु कष्ट, चोरी का भय |
भरणी नक्षत्र :सत्यवादी, स्वाथ्य अच्छा, बीमार कम रहे
| सुमार्ग पर चले, सुखी स्त्रियों में
आशक्त, अस्थिर मनोवृत्ति, अस्थिर विचार, विदेश गमन की इच्छा, दीर्घायु,
शत्रु विजयी, भाग्योदय २५ वर्ष बाद | कभी चोट लगकर अंग भंग होना संभव | कम बोलने वाला, क्रूर व् कृतघ्न, नीच
कर्म रत, क्रूर गृह की महादशा तथा चन्द्र – राहू – शनि की अंतर दशा में शत्रु – कष्ट, चोरी भय |
कृतिका नक्षत्र :कामी चरित्र हीन, कंजूस, कृतघ्न, मित्र एवं सम्बन्धियों से बिगाड़ हो | जिस
काम में हाथ डाले उसे पूरा करके छोड़े | अच्छे भोजन आदि का शौक़ीन | स्त्रियों से मित्रता बढाने में सिद्धहस्त | किसी
विशेष विषय में दक्ष | स्वेच्छानुसार कार्य करने वाला | बुद्दिमान लोभी, प्रसिद्ध,
तेजस्वी, आशावादी, बाह्य
व्यक्तित्व शानदार, विद्वान देखने में भव्य | मुकदमेबाजी में रूचि रखने वाला चालाक | भाग्योदय २९ वर्ष बाद , क्रूर गृह की दशा तथा मंगल,
गुरु, बुध, की अन्तर्दशा
में शत्रुकष्ट चोरी का भय |
रोहिणी नक्षत्र :सुंदर आकर्षक लुभावना व्यक्तित्व, सत्य एवं मधुर भाषी जनप्रिय कार्य पटु कलाकार
सांसारिक कार्य बुद्धि से संपन्न करे दृढ प्रतिज्ञ |
रात का जन्म होतो झूठ बोलने वाला | कठोर मन
वासना अधिक वासना पूर्ती के लिए कुछ भी कर सकता है |
भोगी धन व् स्मरण शक्ति तीव्र , नेत्र बड़े
ललाट चौड़ा आलसी भाग्योदय ३० वर्ष के पश्चात | क्रूर गृह की
दशा में राहू शनि व् केतु के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी
का भय |
मृगशिरा नक्षत्र :शोख तबियत स्त्रियों से
संपर्क रखे | कामी तीव्र
गति से चले घमंडी छोटी छोटी बात पर बिगड़े क्रोधी
चालाक काम निकालने में निपुण | लड़ाई
फसाद के कामों में रूचि रखे, प्रियजन के अनादर में खुश रहे,
डरपोक विद्वान् विवेकशील यात्रा में रूचि,
धन संतान व् मित्रों से युक्त, विद्वान होते
हुए भी चंचल वृत्ति, अभिमान की
मात्रा विशेष रहे | भाग्योदय २८ वर्ष पश्चात क्रूर गृह की दशा गुरु – बुध, शुक्र के अंतर में शत्रु – कष्ट चोरी का भय |
आद्रा नक्षत्र :नम्र स्वभाव मजबूत दिल बुद्दिमान कोई कष्ट आये तो घबराये नहीं | जो कमाए खर्च हो जाए
| अन्नादि का भी संग्रह न हो पाए |
धन दौलत के सुख से वंचित रहे | अच्छे कामों
में रूचि रखे | विचलित मन मस्तिष्क वाला, बलवान क्षुद्र व् ओछे विचार युक्त कम शिक्षित
आडम्बरी धार्मिक कामों में व्यर्थ प्रदर्शन करने वाला | ये
प्राय: फिटर ओवेरसिएर, फोरमैन, इंजनीयर
इत्यादि होते हैं | भाग्योदय २५ वर्ष बाद में होता है |
क्रूर गृह की दशा में शनि – केतु – सूर्य के अंतर में शत्रु – कष्ट चोरी का भय |
पुनर्वसु नक्षत्र :बुद्दिमानविद्वान् शीतल स्वभाव बहु
मित्रों वाला संतान सुख युक्त, श्वेत वस्तुओं में रूचि, सफर
बहुत करे | काव्य प्रेमी माता
पिता का भक्त | आनंदमय जीवन | अपने कार्यों में प्रसिद्धी प्राप्त करे | परोपकारी
होते हुए भी स्वस्वार्थ में कमी नहीं आने देता, प्यास खूब लगती है | अहंकारी दुष्ट, दुर्बुद्दी – दुष्कर्मी , मुर्ख
परिजन को दुःख व् कष्ट देने वाला गरीब | भाग्योदय २४ वर्ष के पश्चात, क्रूर गृह की दशा में बुध – शुक्र – चन्द्र के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय |
पुष्य नक्षत्र :बुद्दिमान, सुशील होशियार धर्म में आस्था रखे | कामी दुसरे का
काम संवारने का प्रयत्न करे, जो मिले सो खा लेवे | दुसरे की बात शीघ्र समझने वाला | चतुर कार्य दक्ष
सुन्दर मेधावी सत्यवादी कुटुंब प्रेमी विशाल ह्रदय माना प्रेमी ईश्वर भक्त राज्य
पक्ष से सम्मानित वाक् पटु कार्य कुशल देव – गुरु – अतिथि प्रेमी | द्रढ़ देहि करुण मन | कवि लेखक पत्रकार वकील अध्यन – अध्यापन में रूचि लेने वाला | प्रशासनिक कार्यों में
दक्ष वस्त्राभूषण नौकर वाहन युक्त होता है | भाग्योदय ३५
वर्ष पश्चात | समाज में प्रतिष्ठा
प्राप्त, क्रूर गृह की दशा में केतु, सूर्य
व् मंगल के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय |
आश्लेषा नक्षत्र : नेक कामों की नक़ल करे कुटुंब बड़ा हो साधू संतों की सेवा करे | अपनी अकड में रहे
किसी को भी खातिर में नहीं लाये | सदैव अपना फायदा सोचे नेकी बुराई की परवाह नहीं करे, रिश्तेदारों से अनबन रहे शराब आदि में ज्यादा रूचि रखे, झूठा, कृतघ्न धूर्त लम्पट अत्यंत क्रोधी दुराचारी
निर्लज्ज शत्रु विजयी औषधी व्यापार में लाभ, परस्त्रीगामी
वासना की पूर्ती के लिए निम्नतम काम करने के लिए तैयार
हो जाता है | अविश्वास की चरम
सीमा को पार करने वाला होता है |भाग्योदय ३० वर्ष पश्चात होता
है क्रूर गृह की महादशा में शुक्र चन्द्र राहु के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का भय
होता है |
मघा नक्षत्र :धनवान पत्नी से प्यार करने वाला खुशहाल माता पिता की सेवा करने वाला
चतुर व्यवहार कुशल व्यापार में लाभ कमाने वाला, योजनाकार काम
पिपासु अस्थिर चित्तवृत्ति किन्तु अत्यंत साहसी | स्वास्थ्य
निर्बल रहना घमंडी किन्तु परिश्रमी अपने अहं पूर्ति के
लिए कुछ भी करने वाला | धनाड्य किन्तु स्त्रियों में आशक्त
रहने वाला व्यर्थ वाद विवाद में समय व्यतीत होना |
किसी भी बात की जड़ तक पहुँचने की
क्षमता रखना | भाग्योदय २५ वर्ष के बाद होना | क्रूर गृह की दशा में सूर्य मंगल व् गुरु के
अंतर दशा में शत्रु कष्ट एवं चोरी का भय |
पूर्वा – फाल्गुनी
:इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला शत्रु विजयी, होशियार हर काम
में निपुण मृदु भाषी दिलखुश बड़े लोगों से सम्बन्ध रखने
वाला | स्त्रियों के लीये आकर्षक विधावान किसी सरकारी काम से
सम्बन्ध रखने वाला एवं राजकीय सम्मान पाने
वाला | शफर का शौक़ीन व् दानी होता है |
वस्त्राभूषण वाहन धनवान व् संतान युक्त व् नृत्य – संगीत प्रेमी होता है | हंसी मजाक व् चापलूसी
करने में माहीर होता है | अधिक
मित्रवान होता है तथा सुंदर सुगठित शरीर वाला उग्र
स्वभाव वाला नेतृत्व प्रधान जीवन जीने वाला | भाग्योदय २८ – ३२
वर्ष के बीच में होगा, क्रूर गृह की महादशा में चन्द्र राहु
शनि के अंतर दशा में शत्रु
कष्ट व् चोरी का भय हो सकता है |
उत्तर – फाल्गुनी
: धनी व् धन इकठ्ठा करने वाला विलासी व् पहलवानी का शौक करने वाला
तथा कुशाग्र बुद्धि वाला एवं मृदुभाषी सत्य बोलने वाला, दूसरों का काम दिल से करने वाला अधिक संतान वाला अपनी मेहनत के बल पर धनी
बनने वाला | पत्नी से मनमुटाव व्
घर में कलेश रहना गृहस्थ जीवन में भाग्योदय ३० – ३२ वर्ष की
उम्र में होना | क्रूर गृह की महादशा में मंगल गुरु व् बुध के अंतर में शत्रु कष्ट चोरी का
भय हो सकता है |
हस्त नक्षत्र :अपनी जाति बिरादरी में मुखिया बन सकता है | विरोधियों से
लड़ना झगड़ना, झूठ व् धोखेबाजी
की आदत होना भाई बंधुओं से दूर रहना चरित्र हीन क्रोधी
शराबी होना पत्नी रोगी होना व् संतान का गलत आदतों में पड़ना | अशांत मन रहना भाग्यशाली सम्मानित व् सुखी होना
निर्दयी होना | आजीवन कलह वाला वातावरण बनाये रखना स्वभाव से
क्रूर होना | बुरे कार्य करना डकैती डालना व् हिंसा
करना आदि | भाग्योदय ३०- ३२ वर्ष में होना | क्रूर गृह की महादशा में राहु – शनि - केतु के अन्तर्दशा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय बना रहना |
चित्रा नक्षत्र : चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धिमान साहसी धनवान दानी
सुशील शरीर सुन्दर स्त्री व् संतान का सुख पाने वाला होता है | धर्म
में आस्था रखने वाला व् आयुर्वेद को जानने वाला, भवन निर्माण
में रूचि रखने वाला होता है | सौंदर्य प्रसाधन प्रेमी चित्रकला व् अभिनय का जानकार बहुमूल्य वस्तुओं का व्यापार
करने वाला तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला, गायन गणित
व् औषधियों तथा लेखनकला से धनोपार्जन करने वाला होगा | भाग्योदय
३३ से ३८ वर्ष में होगा | क्रूर गृह की महादशा में गुरु, बुध, शुक्र,
के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा|
स्वाति नक्षत्र : समझदार शीतल स्वभाव मित्रवत होशियार व् व्यापार में निपुण होगा | कुशल व्यवसायी व् व्यापार तथा बौद्धिक
कार्यों द्वारा मनचाहा लाभ अर्जित करना व् यस प्राप्त
करना | शिक्षा अधूरी छोड़नी पद सकती है, आर्थिक द्रष्टि से संपन्न व् ऐश्वर्यशाली होगा |
अपने समाज में पूर्ण सम्मान प्राप्त
करेगा | इंजीनियर व् टेक्नीकल कार्य
करेगा परोपकारी व् साधू संतों की सेवा करने वाला बनेगा |
भाग्योदय ३० से ३६ वर्ष में होगा | क्रूर गृह
के महादशा में शनि, केतु,
सूर्य के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का
भय रहेगा |
विशाखा नक्षत्र :इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला सुंदर धनवान मगर खोटे कामों में
रूचि रखने वाला व् लड़ाई झगडा करने वाला, कृपन लोभी वाक्पटु
सामान्य बुद्धि वाला क्रोधी अहंकारी दम्भी कामासक्त शराबी जुआरी स्त्री के वशीभूत
होने वाला पाप पुण्य से दूर रहने वाला मतलबी अचानक धन
प्राप्त करने वाला शत्रु विजयी |भाग्योदय २१-२८-३४ वर्ष में
होगा | कलह पूर्ण जीवन यापन करना |
क्रूर गृह के महादशा में बुध, शुक्र, चन्द्र, के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा
|
अनुराधा नक्षत्र : शक्तिशाली व् स्थूल शरीर वाला धनवान मान,सम्मान, पाने वाला, विधा कला व् काम धंधे में निपुण ज्यादा शफर करने वाला होगा | अस्थिर मनोवृत्ति साहसी
पराक्रमी मिलनसार यशस्वी स्वालंबी
रौबीला सुन्दर व्यतित्व का धनी बहुत खाने वाला धार्मिक अध्ययनशील एकांत प्रिय दानी सहिष्णु होगा |
सरकारी नौकरी पाने वाल स्वार्थ पूर्ती हेतु छल प्रपंच करने वाला मृदुभाषी स्त्रियों के दिलों में राज करने वाला होगा |
भाग्योदय ३९ वर्ष पश्चात होगा | क्रूर गृह
की महादशा में केतु सूर्य मंगल के अंतर
में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा
ज्येष्ठा नक्षत्र :चतुर सभी कार्यों में होशियार
बहुमित्र संतोषी शीतल स्वभाव कला की शौक़ीन क्रोधी धर्म के अनुरूप चलने वाली पराई
स्त्री पर आशक्त होने वाला | सम्पूर्ण विधा का ज्ञान प्राप्त
करना सुन्दर व्यतित्व वाला अपने कार्य में दक्ष अच्छी संतान
प्राप्त करने वाला, गृहस्थ जीवन का अधूरा सुख प्राप्त करने
वाला कवि लेखक पत्रकार साहित्यकार प्रशाशक निरीक्षक वकील
चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि हो सकते हैं | उम्र के २७,३१,४९ वर्ष स्वास्थ्य की द्रष्टि ठीक नहीं रहेंगे|
क्रूर गृह की महादशा में शुक्र,चन्द्र,राहु, की अन्तर्दशा में
शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा |
मूल नक्षत्र :विशाल ह्रदय दानी गंभीर धनी अपने समाज में सम्मान पाने वाला कमजोर
स्वास्थ्य प्रायः बीमार रहने वाला वाकपटु चतुर कृतघ्न
दुष्ट धूर्त विश्वासघाती स्वार्थी वाचाल लोकप्रिय हिंसक क्रोध करने वाला होता है
व् उसके जीवन में बार - बार दुर्घटनाएँ होती हैं |
भाग्योदय २७ या ३१ वें वर्ष में
होता है | क्रूर
गृह की महादशा में सूर्य मंगल गुरु की अंतर दशाओं में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा |
पूर्वा-आषाढ़ नक्षत्र :बुद्धिमान उपकारी सबका मित्र सभी
कामों में होशियार संतान के प्रति सुखी, उदार स्वाभिमानी, शत्रुहंता, श्रेष्ठ मित्रों वाला अधिक धन नहीं होने पर भी कोई काम नहीं रुकना,
भाग्यशाली, कार्य कुशल, यशस्वी,
पत्नी का भी पूर्ण सुख रहता है | भाग्योदय २८ वें वर्ष में होता है | क्रूर गृह की
महादशा में चन्द्र, राहू, शनि, की अन्तर्दशा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय
होता है |
उत्तरा-आषाढ़ नक्षत्र : परोपकारी,मान सम्मान पाने वाला,
होशियार, चतुर, बहादुर,संगीत प्रेमी, विनम्र शांत स्वभाव वाला, धार्मिक सुखी, सर्व प्रिय, विद्वान,
बुद्धिमान, मेहनती धनी, सट्टेबाजी
आदि का शौक पालना, तश्करी एवं अन्य कुसंगति में पड़ना, कामुक व् वेश्यागामी होना, जीवन में अनायास ही धन की प्राप्ति होना | भाग्योदय
३१ वें वर्ष में होगा, क्रूर गृह की महादशा में मंगल,गुरु, बुध,
के अंतरदशा में शत्रु-कष्ट व् चोरी का भय रहता है |
श्रवण नक्षत्र : धनी बहुत बोलने वाला, गंभीर बुद्धिमान साहसी प्रसिद्द नेकनाम व् पत्नी
सुन्दर हो | राग विधा गणित ज्योतिष में लगाव रखे, असंकुचित विचार दुसरे के दिल से भेद
पाए | १९ – २४ वा वर्ष खराब रह सकता है
| विवेकी विद्वान उच्च विचार धार्मिक
शोभायमान व्यक्तित्व, उच्च पदाधिकारी बन सकता है काव्य संगीत
में रूचि रखने वाला सिनेमा प्रेमी होगा | क्रूर गृह की महादशा में राहु – शनि – केतु
के अन्तर्दशा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय हो सकता है |
धनिष्ठा नक्षत्र : राग विधा में अधिक रूचि रखने वाला होगा | भाई बंधुओं से
बहुत प्यार रखे | धनी नेकनाम साहसी अच्छे काम करने वाला व् स्त्री का प्यारा होगा | सरकारी
कार्य से सम्बन्ध रहेगा व् जवाहरात पहनने का शौक़ीन होगा तथा लोगों में इज्जत व् मान सम्मान प्राप्त करेगा | १५, १९, २३, वर्ष शुभ नहीं होंगे |
धर्मं कर्म में लिप्त रहने वाला एश्वर्या संपन्न उदार व् समाज में सम्मान पाने वाला होगा | वासना ग्रस्त
कामुक व् परस्त्रीरत हो सकता है | पत्नी व्
पत्नी पक्ष से हमेशा दबा रहेगा लोभी तथा स्त्रियों से
लुटने वाला होगा | क्रूर गृह की महादशा में गुरु, बुध, शुक्र, की अंतर दशा में
शत्रु कष्ट व् चोरी का भय हो सकता है |
शतभिषा नक्षत्र : धनी सत्यवादी दानी प्रसिद्द अच्छे काम करने वाला बुद्धिमान
होशियार सफल शत्रु विजेता इज्जत प्राप्त करने वाला होता है | सरकार
से सम्मान प्राप्त करने वाला दूसरी स्त्री से लगाव रखने वाला तथा २८ वाँ वर्ष
विशेष महत्वपूर्ण हो सकता है | सत्य भाषी परन्तु जुआरी,
व्यसनी सट्टेबाज साहसी परन्तु शांत स्वभाव में कठोरता निडर ज्योतिष
प्रेमी साधारण धन एवं दुसरे के माल को हड़पने की इच्छा
हमेशा बनी रहती है | क्रूर गृह के महादशा में शनि केतु सूर्य
की अन्तर्दशा में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा |
पूर्वा-भाद्रपद नक्षत्र : धनी सुंदर बहुत बोलने वाला, विधावान कला कुशल
एवं अधिक सोने वाला कई पत्नियों वाला, संतान से सुख प्राप्त करने वाला छोटी छोटी बातों में गुस्सा होने वाला होता है|
भाग्योदय १९ से २१ वर्ष में होता है | अपने
कार्य में दक्ष व् चतुर तथा धूर्त व् डरपोक धनवान होते
हुए भी निर्धन हो जाता है | कम सहन शक्ति वाला विचारों में
कामुकता वाला, स्त्रियों से धोखे
खाना वाला, पत्नी स्वभाव से चंचंल व् उग्र होती है, गृहस्थ जीवन सामान्य रहेगा | क्रूर गृह के महादशा
में बुध, शुक्र, चन्द्र, के अंतर में शत्रु कष्ट व् चोरी का भय रहेगा |
उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र : सुन्दर पराक्रमी साहसी बुद्धिमान
रंग गोरा वाचाल दानी शत्रु विजेता धर्मात्मा धनवान होता है | उदार परोपकारी, सुखी, धन-धान्य व्
संतान युक्त जीवन | अध्ययनशील, शास्त्रों
के ज्ञाता वाक्पटु जिम्मेदार, लेखक, पत्रकार, संगीतज्ञ, सफल गृहस्थ जीवन, म्रदु
भाषी पत्नी वाला होता है | भाग्योदय २७ से ३१ वर्ष में संभव
है | क्रूर गृह की महादशा में केतु,
सूर्य, मंगल, की
अन्तर्दशा में शत्रु कष्ट एवं चोरी का भय रहता है |
रेवती नक्षत्र : माता पिता की सेवा करने वाला, बुद्धिमान साधू स्वभाव तेज वाणी व् मित्रों से खुश
रहने वाला होता है | शरीर पुष्ट
निरोगी काया साहसी एवं सर्वप्रिय धनवान सुपुत्रवान कामातुर सुन्दर चतुर मेधावी,
कुशाग्रबुद्धि, सलाह देने में होशियार,अच्छा व्यापारी, कवि लेखक, पत्रकार,
निबंधकार, उपन्यासकार आदि होता है| स्वभाव शौम्य दृढ निश्चय वाला, प्रतिभाशाली सर्वगुण संम्पन्न सुन्दर पत्नी वाला चरित्रवान गृह कार्य में दक्ष मधुर
भाषी होता है | १७ वें, २१ वें,
२४ वें वर्ष ठीक नहीं होंगे | क्रूर गृह
की महादशा में शुक्र- चन्द्र – राहु की अन्तर्दशा में शत्रु
कष्ट व् चोरी का भय हो सकता |
अभिजीत नक्षत्र : अभिजीत नक्षत्र में जन्म लेने वाला सुन्दर होशियार अपराजित दृढ
निश्चयी व् भाग्यवान धनवान सर्वगुण संपन्न मेहनत करने वाला शक्तिशाली व्यक्ति
होता है |उपरोक्त नक्षत्र बहुत कम उपयोग में लाया जाता है,
इसलिए ज्यादातर लोग इसका वर्णन कम ही
करते हैं
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