अंक ज्योतिष के अनुसार मूलांक भाग्यांक और नामांक
अंक
ज्योतिष कि व्याख्या
अंक अपने
सभी रुपो में हमारी जिन्दगी से एक या अनेक तरह से जुड़े हुए है | हमारे जन्म दिनान्क में अंक है,
हमारे नाम में अंक छिपा हुआ है और हमारे काम या व्यवसाय के नाम में
अंक छुपा है | जब किसी माह के किसी दिन कोई घटना घटती है तो
वह एक अंक में सिमट जाती है | इसी तरीके से हर साल का एक अंक
होता है | अंक शास्त्र भविष्य कथन विज्ञान का एक प्रकार है
जिसमे अंको के विश्लेषण द्वारा भविष्य कथन किया जाता है | अंक
शास्त्र के अनुसार लोगो के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में उनसे संबधित संख्या
का विश्लेषण कर बहुत कुछ बताया जा सकता है | कई प्रकार के
अंक और उनकी गणनाओं की तकनिक ने अंक शास्त्र एक नये विशाल क्षेत्र तक पहुँचाया है |
अंक शास्त्र में कई प्रकार के अंक होते है जैसे जीवन मार्ग अंक,
जन्म अंक, व्यक्तित्व अंक, कार्मिक चक्र अंक आदि |इसमें यह भी सिध्दान्त है कि
जन्मांक में किसी अंक कि उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर किसी व्यक्ति का
व्यवहार कैसा होगा | अपने व्यक्तित्व को पहचानने के लिए इस
विधा के भेद को जाने |
मूलांक - अंक
ज्योतिष के अनुसार जन्म तारीख के कुल योग को मूलांक कहते है ।
भाग्यांक - DD : MM : YYYY के कुल योग को भाग्यांक कहते है।
मूलांक
और भाग्यांक के अनुसार काम करने से जीवन में रुके हुए काम पुरे होते चले जाते है।
अंकज्योतिष
में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल की विशेषताओं के आधार पर गणना की जाती है।
इन में
से प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक कोई एक अंक निर्धारित किया गया है,
कौन से ग्रह पर किस अंक का असर होता है। ये नौ ग्रह मानव जीवन पर
गहरा प्रभाव डालते हैं।
आइये जाने किस अंक का कौन स्वामी है :-
जन्म तारीख
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मूलांक
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मूलांक का स्वामी
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1
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10
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19
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28
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक -1
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का स्वामी सूर्य है।
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2
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11
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20
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29
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक -2
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का स्वामी चंद्रमा।
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3
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12
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21
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30
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक-3
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का स्वामी गुरू।
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4
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13
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22
|
31
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक- 4
|
का स्वामी- राहु।
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5
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14
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23
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक- 5
|
का स्वामी बुध।
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6
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15
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24
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक -6
|
का स्वामी शुक्र।
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7
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16
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25
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 7-
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का स्वामी केतु।
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8
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17
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26
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तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 8-
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का स्वामी- शनि।
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9
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18
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27
|
|
तारीख
को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 9-
|
का स्वामी मंगल।
|
आइये जाने भाग्यशाली अंक, अंको के रंग और
शुभ दिशा-
मूलांक 1 :- यह अंक स्वतंत्र व्यक्तित्व का धनी है। इससे संभावित अंह
का बोध, आत्म निर्भरता, प्रतिज्ञा,
दृढ़ इच्छा शक्ति एवं विशिष्ट व्यक्तित्व दृष्टि गोचर होता है। इसके
स्वामी सूर्य हैं।
जिस व्यक्ति का जन्म समय 21 जुलाई से 28 अगस्त के मध्य हो,
का प्रभाव सूर्य के नियंत्रण में होता है, इनके
लिए शुभ तिथि 1,10,19 एवं 28 तारीख है.
चार अंक से इनका जबरदस्त आकर्षण होता है. इनके लिए शुभ दिन रविवार एवं सोमवार है,
तो शुभ रंग पीला, हरा एवं भूरा है. ये अपने
ऑफिस, शयनकक्ष परदे, बेडशीट एवं
दीवारों के रंग इन्हीं रंगों में करें, तो भाग्य पूर्णत: साथ
देता है. इस मूलांक के व्यक्ति शासन के शीर्ष पद पर देखे जाते हैं. छह एवं आठ अंक
वाले इनके शत्रु हैं. इनकी शुभ दिशा ईशान कोण है.
मूलांक 2 :- अंक दो का संबंध मन से है। यह मानसिक आकर्षण, हृदय की भावना, सहानुभूति, संदेह,
घृणा एवं दुविधा दर्शाता है। इसका प्रतिनिधित्व चन्द्र को मिला है,
इस अंक का स्वामी चंद्रमा है 2,11, 20, 29
तारीख अति शुभ हैं. रविवार, सोमवार एवं शुक्रवार श्रेष्ठ दिन
हैं. सफेद एवं हल्का हरा इनके शुभ रंग हैं.
मूलांक 3 :- इस अंक के स्वामी देव गुरु वृहस्पति हैं .इससे
बढ़ोत्तरी, बुद्धि विकास क्षमता, धन
वृद्धि एवं सफलता मिलती है। 3, 12, 21 एवं 30 तारीख इनके लिए विशेष शुभ हैं. मंगलवार, गुरुवार
एवं शुक्रवार श्रेष्ठ है. पीला एवं गुलाबी रंग अतिशुभ है. शुभ माह जनवरी एवं जुलाई
है. दक्षिण, पश्चिम एवं अग्नि कोण श्रेष्ठ दिशा है.
मूलांक 4 :- इस अंक से मनुष्य की हैसियत, भौतिक
सुख संपदा, सम्पत्ति, कब्जा, उपलब्धि एवं श्रेय प्राप्त होता है। इसका प्रतिनिधि हर्षल और राहु हैं. 2,
11, 20 एवं 29 तारीख शुभ है. रविवार, सोमवार एवं शनिवार श्रेष्ठ दिन हैं, जिसमें शनिवार
सर्वश्रेष्ठ है. नीला एवं भूरा रंग शुभ है.
मूलांक 5 :- इस अंक का स्वामी बुध है. शुभ तिथि 5, 14 एवं 23 है. सोमवार, बुधवार
एवं शुक्रवार श्रेष्ठ है. उसमें शुक्रवार सर्वाधिक शुभ है. सफेद, खाकी एवं हल्का हरा रंग इनके लिए शुभ है. इनके लिए अशुभ अंक 2, 6 और 9 है.
मूलांक 6 :- इस अंक का स्वामी शुक्र है. छह का अंक वैवाहिक जीवन,
प्रेम एवं प्रेम-विवाह, आपसी संबंध, सहयोग, सहानुभूति, संगीत,
कला, अभिनय एवं नृत्य का परिचायक है।शुभ तिथि
माह की 6,15 एवं 24 तारीख है. मंगलवार,
गुरुवार एवं शुक्रवार श्रेष्ठ दिन है जिसमें शुक्रवार सर्वश्रेष्ठ
है. आसमानी, हल्का एवं गहरा नीला एवं गुलाबी रंग शुभ हैं.
लाल एवं काले रंग का प्रयोग वर्जित है.
मूलांक 7 :- इस अंक का स्वामी केतु है. सात का अंक आपसी ताल मेल,
साझेदारी, समझौता, अनुबंध,
शान्ति, आपसी सामंजस्य एवं कटुता को जन्म देता
है।महीना के 7, 16 एवं 25 तारीख
सर्वश्रेष्ठ है. 21 जून से 25 जुलाई तक
का समय भी श्रेष्ठ है. रविवार, सोमवार एवं बुधवार श्रेष्ठ
हैं. जिसमें सोमवार सर्वश्रेष्ठ है. शुभ रंग हरा, सफेद एवं
हल्का पीला है.
मूलांक 8 :- इस अंक का स्वामी शनि हैं. 8, 17
एवं 26 तारीख श्रेष्ठ तिथि हैं.शनि का अंक होने से इस अंक से
क्षीणता, शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक कमजोरी, क्षति, हानि, पूर्ननिर्माण,
मृत्यु, दुःख, लुप्त हो
जाना या बहिर्गमन हो जाता है, रविवार, सोमवार
एवं शनिवार शुभ हैं. जिसमें शनिवार सर्वाधिक शुभ है. भूरा, गहरा
नीला, बैगनी, सफेद एवं काला शुभ रंग
है. हृदय एवं वायु रोग इनके प्रभाव क्षेत्र हैं. दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम
एवं दक्षिण-पूर्व दिशा शुभ हैं.
मूलांक 9 :- अंक नौ का स्वामी मंगल है. इस मूलांक के लोगों पर मंगल
ग्रह का प्रभाव सर्वाधिक है.यह अन्तिम ईकाई अंक होने से संघर्ष, युद्ध, क्रोध, ऊर्जा, साहस एवं तीव्रता देता है। इससे विभक्ति, रोष एवं
उत्सुकता प्रकट होती है। इसका प्रतिनिधि मंगल ग्रह है जो युद्ध का देवता है 9,
18 एवं 27 श्रेष्ठ तारीख है. मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार शुभ दिन है. गहरा लाल एवं गुलाबी शुभ रंग है. पूर्व,
उत्तर-पूर्व एवं उत्तर-पश्चिम दिशा अतिशुभ हैं. हनुमान जी की अराधना
श्रेष्ठ है.
आपके लिए कौन-सा मेटल लकी ?
नंबर्स का खेल अजीब है। आपका बर्थ नंबर आपके लिए बहुत कुछ कहता है, वह यह भी बताता है कि
आपके लिए कौन-सा मेटल शुभ साबित हो सकता है।
मूलांक 1 :- 1, 10, 19 और 28 तारीख को जन्में लोगों के लिए लकी मेटल है गोल्ड। न्यूमरॉलजी के हिसाब से
फरवरी, अप्रैल और अगस्त महीने भी नंबर 1 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे लोगों के लिए भी गोल्ड
लकी है।
मूलांक 2 :- 2, 11 और 20 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है गोल्ड। न्यूमरॉलजी के हिसाब से मई और जुलाई महीने भी
नंबर 2 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे
लोगों के लिए भी सिल्वर लकी है।
मूलांक 3 :- 3, 12 और 21 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी टिन है गोल्ड। न्यूमरॉलजी के हिसाब से मार्च और दिसंबर महीने भी
नंबर 3 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे
लोगों के लिए भी टिन लकी है।
मूलांक 4 :- 4, 13, 22 और 31 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है यूरैनियम। न्यूमरॉलजी के हिसाब से फरवरी, अप्रैल और अगस्त महीने भी नंबर 4 को रिप्रजेंट करते
हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे लोगों के लिए भी यूरैनियम लकी है।
मूलांक 5 :- 5, 14 और 23 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है क्विक सिल्वर। न्यूमरॉलजी के हिसाब से जून और सितंबर
महीने भी नंबर 5 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में
जन्मे लोगों के लिए भी क्विक सिल्वर लकी है।
मूलांक 6 :- 6, 15 और 24 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है कॉपर। न्यूमरॉलजी के हिसाब से मई और अक्टूबर महीने भी
नंबर 1 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे
लोगों के लिए भी कॉपर लकी है।
मूलांक 7 :- 7, 16 और 25 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है यूरैनियम। न्यूमरॉलजी के हिसाब से फरवरी, जुलाई और अगस्त महीने भी नंबर 7 को रिप्रजेंट करते
हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे लोगों के लिए भी यूरैनियम लकी है।
मूलांक 8 :- 8, 17 और 26 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है लेड। न्यूमरॉलजी के हिसाब से जनवरी और अक्टूबर महीने भी
नंबर 8 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे
लोगों के लिए भी लेड लकी है।
मूलांक 9 :- 9, 18 और 27 तारीख को जन्में
लोगों के लिए लकी मेटल है आयरन। न्यूमरॉलजी के हिसाब से अप्रैल और नवंबर महीने भी
नंबर 9 को रिप्रजेंट करते हैं। इसलिए इन महीनों में जन्मे
लोगों के लिए भी लोहा लकी है।
राशियाँ, अंक ज्योतिष और भविष्य -
अंक ज्योतिष और हस्तरेखा विज्ञान दोनों एक सिक्के के दो
पहलू हैं। जिस प्रकार आत्मा शरीर के बिना अधूरी है, उसी प्रकार
अंक ज्योतिष हस्तरेखा विज्ञान के बिना अधूरा है तथा हस्त रेखा विज्ञान, अंक ज्योतिष के बिना अधूरा है।
आमतौर पर ज्योतिषी हाथ की रेखाओं के अवलोकन
मात्र से अथवा अंक विज्ञान की गणना मात्र से ही किसी भी व्यक्ति का भविष्य बता
देते हैं, मगर मेरे विचार में हमें
दोनों विज्ञानों के गहन अवलोकन पश्चात ही कोई निर्णय देना चाहिए। ज्योतिष से
संबंधित विभिन्न पहलुओं पर हम पाठकों से प्राप्त सामग्री यहाँ दे रहे हैं। ये
रचनाएँ लेखकों के अपने अनुभव और विचार हैं। संपादक की इनसे कोई सहमति नहीं है।
आइए देखें, अंक ज्योतिष के आधार
पर किसी व्यक्ति का भविष्य किस तरह ज्ञात किया जा सकता है। पहले हम राशियों के
क्रम के बारे में जानें।
राशि क्रम
मेष-1 वृष -2 मिथुन-3
कर्क-4 सिंह-4 कन्या-5
तुला-6 वृश्चिक-7 धनु-8
चूँकि 1 से 9 तक के अंक के बाद के अंक ज्योतिष में
पुनरावृत्ति होती है,
अतः हम 9 के बाद के वाले अंक को पुनः उसी क्रम में रखेंगे-
मकर 10 = 1+0
= 1
कुंभ 11 =
1+1 = 2
मीन 12 = 1+2
=3
नोट- चन्द्र व सूर्य मात्र एक-एक राशि के ही स्वामी हैं
जैसे- कर्क का चन्द्र व सिंह का सूर्य। अतः इन्हें एकराशि स्वामी भी कहा जाता है।
शेष को द्विराशि स्वामी कहा जाता है।
राशियाँ क्रम सहयोगी अथवा शुभ अंक
मेष+वृश्चिक 1
+ 8 = 9
वृष +तुला 2
+ 7 = 9
मिथुन+कन्या 3
+ 6 = 9
कर्क 4 = 4
सिंह 5 = 5
धनु+ मीन 9+3
= 12= 1+2 =3
मकर+कुंभ 1+2
= 3
अतः स्पष्ट है कि मेष+वृश्चिक (1+8 = 9 योग) के स्वामी मंगल का अंक 9 है तथा दोनों राशियों के क्रम का योग भी 9 आ रहा है,
अतः इस प्रकार दोनों राशि नामों का शुभ अंक 9 हुआ।
स्पष्ट है कि मेष और वृश्चिक में मित्रता का
संबंध होगा। ये दोनों मित्र होने के साथ-साथ आपसी विचारों में भी समान होंगे। इन
राशियों के व्यक्ति यदि साथ मिलकर कोई व्यवसाय करें तो लाभ होगा।
अतः हम यह भी कह सकते हैं कि मेष+वृश्चिक जिनका
स्वामी मंगल है का प्रभाव उनके ऊपर जीवन भर रहेगा और यदि इनका भाग्यांक भी 9 आ रहा है, तो यह इन
दोनों के लिए अतिशुभ होगा। इसी प्रकार हम अन्य ग्रहों के बारे में भी जान सकते
हैं।
यदि हम शुभ दिन या माह ज्ञात करना चाहें तो यह
बिलकुल आसान होगा।
जैसे- मेष+वृश्चिक का स्वामी मंगल हुआ अतः
मंगलवार शुभ होगा। उसी प्रकार यदि अंक ज्ञात हो तो भी शुभ दिन ज्ञात किया जा सकता
है।
माना किसी व्यक्ति का जन्म 2 फरवरी को हुआ है। अतः 2 अंक का स्वामी चन्द्र हुआ, इसलिए सोमवार शुभ दिन
होगा। इसी के साथ ही उस व्यक्ति का फरवरी माह बराबर का भाग्यशाली हुआ, क्योंकि माह के क्रम में फरवरी दूसरे (2) स्थान पर आ
रहा है।
यदि एक ही स्वामी वाले दो राशियों, नामों के व्यक्तियों का स्वामी, अंक व शुभांक (मूलांक + भाग्यांक + नामांक + स्तूपांक) एक ही आता है,
तो उनकी मित्रता अटल रहेगी। ऐसे पति-पत्नियों के विचारों में भी
समानता होगी।
शुभ अंक निकालने की विधि-
सूत्र : शुभांक = (मूलांक +भाग्यांक + नामांक +
स्तूपांक)
शुभांक निकालने की तीन पद्धतियाँ हैं।
(1) सैफेरियल पद्धति।
(2) कीरो पद्धति ।
(3) अँगरेजी पद्धति।
हम यहाँ सैफेरियल पद्धति का प्रयोग करेंगे, क्योंकि सटीक परिणाम निकालने हेतु अधिकतर
ज्योतिषी इसी पद्धति का प्रयोग करते हैं।
शुभांक निकालने हेतु जन्म तिथि, माह, सन् का ज्ञान
आवश्यक है।
उदाहरणार्थ- यहाँ हम किसी अ का शुभांक निकालते हैं।
मान लीजिए अ का जन्म 11-2-1942 को हुआ। अतः
रमेश का जन्म 11-2-1942
को हुआ था। अतः
मूलांक = 11
= 1 +1 = 2
अतः जन्मतिथि का मूलांक 2 हुआ।
अब भाग्यांक निकालने के लिए जन्मतिथि सहित माह
एवं सन् सबको जोड़ लिया जाएगा।
जैसे भाग्यांक = 11.2.1942
1+1+2+1+9+4+2
= 20 = 2+0 = 2
अतः इनका भाग्यांक (2) भी मूलांक (2) के साथ
बराबर का भाग्यशाली हुआ।
नामांक निकालने के लिए अँगरेजी वर्णमाला के
अक्षरों को क्रमसंख्या दी गई है जो इस प्रकार है-
सैफेरियल पद्धति-
छ-1, ळ-2, भ-3,घ-4, ङ-5, ख-6, क्ष-7, --8,
'-9, व-1,
ण-2, र्ि -3, ष-4, श-5, '-6, ×-7, ऊ-8, इ-9,
झ-1, ्-2,
-3, फ-4, उ-5, ठ-6, ए-7, ढ-8 .
सैफेरियल पद्धति से नामांक निकालने के लिए
प्रसिद्ध नाम को अँगरेजी अक्षर में लिखा जाएगा।
AMITABH BACHCHAN
1492128 21383815
योग- 27 31
27+31 द58
5+8 द 13 द1+3द4
अतः नामांक द4
अब हम स्तूपांक निकालेंगे। स्तूपांक निकालने के
लिए प्रसिद्ध नाम को अँगरेजी में लिखकर उसके अक्षरों की क्रमसंख्या को नामांक
निकालने की तरह ही लिखते हैं-
AMITABH BACHCHAN
1492128 21383815
स्तूपांक निकालने के लिए पहले को दूसरे से, दूसरे को तीसरे से, इसी
प्रकार हम चौदहवें तक गुणा करते चले जाएँगे और अंतिम अंक छोड़ देंगे। यही क्रम नीचे
भी जारी रहेगा। अंत में जो अंक बचेगा वही स्तूपांक होगा।
AMITABH BACHCHAN
1492128 21383815
499227 7236668
99945 456999
9992 22399
999 4469
99 976
9 99
9 स्तूपांक
अब शुभांक ज्ञात करना सरल है।
शुभांक = मूलांक + भाग्यांक + नामांक +
स्तूपांक
= 2 + 2 + 4 + 9
= 17
= 1+7 = 8
अतः अमिताभ बच्चन का शुभ अंक आठ (8) आया।
इस प्रकार चलचित्र क्षेत्र में पदार्पण करने
वालों के लिए मूलांक 2, 4, 8, 9 उत्तम
होता है। अतः उक्त क्षेत्र का शीर्षक इन अंकों से प्रभावित हो रहा हो तो अति शुभ
होगा।
संयोगवश अमिताभ बच्चन के साथ ये सभी संलग्न
हैं।
जैसे - मूलांक -2, भाग्यांक - 2, नामांक - 4, स्तूपांक - 9 और शुभांक - 8।
यही कारण है कि लगातार 12 फिल्में फ्लॉप देने के बाद 13वीं फिल्म उनकी सुपर हिट हुई। अंक 13 का योग 1+3
= 4 हुआ। अतः 4 अंक ने 13वीं फिल्म 'जंजीर' सुपर हिट कर
दी।
आगे हम एक विचित्र पहलू और देखते हैं-
JANZIR
815899
योग 40 = 4
अतः जंजीर फिल्म का योग भी 4 हुआ।
यह फिल्म सन् 1973 में बनी थी अर्थात 1+9+7+3 =20 = 2+0 = 2। इसका
मूलांक 2 आ रहा है- जो अमितजी का मूलांक और भाग्यांक नम्बर
है।
इस प्रकार हम उपरोक्त विधि से किसी भी व्यक्ति
का शुभांक ज्ञात कर सकते हैं। हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि जिस व्यक्ति का
शुभांक, तिथि, वार, माह, वर्ष सभी का एक ही
अंक आ रहा है, तो वह समय उस व्यक्ति के लिए शुभ ही शुभ होगा।
मूलांक 2 के लिए 1 अशुभ माना गया है, अतः
यदि किसी व्यक्ति (या अमितजी जिनका मूलांक -2 है) के लिए यदि
तिथि, वार, माह, वर्ष
सभी एक से संबंधित हों तो वह समय अमितजी के लिए अशुभ ही अशुभ होगा। यदि किसी
व्यक्ति की जन्मतिथि ज्ञात न हो तो उस व्यक्ति के प्रसिद्ध नाम से नामांक निकालकर
उसका शुभ अंक ज्ञात किया जा सकता है, परन्तु यह सामान्य फल
ही देता है।
अंक विज्ञान के अनुसार धन संबंधी कार्य कब करें
अंक विज्ञान के अनुसार धन संबंधी कार्य कब करें ? भाग्यांक द्वारा आप अपनी
आर्थिक स्थितियों एवं गतिविधियों को सुनियोजित कर सकते हैं अर्थात् धन संबंधी
कार्य उस दिन या उस समय करें जो भाग्यांक के अनुकूल हो।
धन संबंधी कार्यों के लिए भाग्यांक निकालने के लिए जन्म दिन और जन्म
समय को जानना आवश्यक है। इस विधि में जन्म समय में केवल जन्म के घंटे के ज्ञान की
आवश्यकता होती है, मिनट आदि का कोई महत्व नहीं होता।
उदाहरण के लिए, यदि किसी का जन्म प्रातः काल 6ः30
पर हुआ है तो यह समझा जाएगा कि जन्म 6ः00
और 7ः00 बजे के बीच हुआ।
सायंकाल 7ः30 बजे जन्म हुआ हो तो 19ः00 और 20ः00 बजे के बीच का समझा जाएगा। इस संदर्भ में एक तालिका यहां प्रस्तुत है।
इसके अनुसार जो अंक जातक के जन्म समय के घंटे के सामने होगा, वही उसका भाग्यांक होगा और वही समय उसके धन-संबंधी कार्यों के लिए शुभ
होगा। तालिका में कुछ अंकों की छाप गहरी है और कुछ की हल्की। गहरी छाप वाले अंक
सकारात्मक समय और हल्की छाप वाले नकारात्मक समय के द्योतक हैं। सकारात्मक घंटे
अंकों को सौभाग्य सूचक व शक्तिशाली बनाते हैं, अतः वे जातक
के लिए नकारात्मक घंटों से अधिक शुभ होंगे। वैसे जातक का जन्म सकारात्मक घंटे में
हुआ हो या नकारात्मक घंटे में, उस घंटे से संबंधित अंक ही उस
जातक का भाग्यांक होगा। उदाहरण के लिए, यदि जातक का जन्म
सोमवार को प्रातः काल 6 और 7 बजे के
बीच हुआ हो तो उसका भाग्यांक 5 होगा। इस प्रकार, उसका 5 अंक के अवधिकाल में कोई विशेष कार्य करना
फलदायक सिद्ध होगा। सकारात्मक अवधि स्वाभाविक तौर पर धन संबंधी या अन्य रचनात्मक
कार्यों के लिए सर्वोंŸाम होती है। नकारात्मक अवधि अध्ययन और
शोधकार्य आरंभ करने तथा घोड़ों की रेस जैसे कार्यों के लिए शुभ होती है। यह अवधि
अतःप्रेरणा शक्ति के लिए अधिक बली होती है। सकारात्मक अवधि रचनात्मक और सक्रियता
के कार्यों के लिए अधिक उपयुक्त होती है। ऊपर वर्णित उदाहरण का भाग्यांक 5 है। इस भाग्यांक वाले जातक के लिए शुभ अवधि है सोमवार को सुबह 6ः00 से 17ः00 तक और रविवार को सुबह 2ः00 से 3ः00 तक सकारात्मक और रात्रि 9ः00
से 10ः00 तक नकारात्मक।
सोमवार को ही 8ः00 से 9ः00 तक सकारात्मक, मंगलवार को
सुबह 3ः00 से 4ः00
तक सकारात्मक, रात्रि 10ः00
से 11ः00 तक नकारात्मक,
बुधवार को रात के 12 से 1ः00 तक सकारात्मक, सुबह 7ः00 से 8ः00 तक नकारात्मक, दोपहर 2ः 00
से 3ः00 तक सकारात्मक और
रात 9ः00 से 10ः00
तक नकारात्मक, बृहस्पतिवार को सायं 6ः00 से 7ः00 तक सकारात्मक, शुक्रवार को सुबह 1ः00 से 2ः00 तक नकारात्मक, 8ः00 से 9ः00 तक सकारात्मक दोपहर 3ः00
से 4ः00 तक नकारात्मक,
रात 10ः00 से 11ः00 तक सकारात्मक, शनिवार को
सुबह 5ः00 से 6ः00
तक नकारात्मक और शाम 7ः00 से 8ः00 तक नकारात्मक। इसी
विधि का प्रयोग अन्य भाग्यांकों के लिए भी करना चाहिए। इस प्रकार, उपयुक्त समय का चयन कर आप भी धन संबधी कार्यों में शुभता लाकर धनी व सफल
हो सकते हैं।
मूलांक
किसी भी व्यक्ति की जन्म तारीख उसका मूलांक होता है.
जैसे कि 2 जुलाई को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होता है तथा 14 सितम्बर वाले का 1+4 = 5.
भाग्यांक
किसी भी व्यक्ति की सम्पूर्ण जन्म तारीख के योग को घटा कर एक अंक की
संख्या को उस व्यक्ति विशेष का भाग्यांक कहते हैं,
जैसे कि 2 जुलाई 1966 को जन्मे व्यक्ति का
भाग्यांक 2+07+1+9+6+6= 31 = 3+1= 4, होगा.
मूलांक तथा भाग्यांक स्थिर होते हैं, इनमें परिवर्तन सम्भव
नही. क्योंकि किसी भी तरीके से व्यक्ति की जन्म तारीख बदली नही जा सकती.
सौभाग्य अंक
व्यक्ति का एक और अंक होता है जिसे सौभाग्य अंक कहते हैं.
यह नम्बर परिवर्तनशील है.
व्यक्ति के नाम के अक्षरो के कुल योग से बनने वाले अंक को सौभाग्य अंक
कहा जाता है,
जैसे कि मान लो किसी व्यक्ति का नाम RAMAN है, तो उसका सौभाग्य अंक R=2, A=1, M=4, A=1, एंव N=5
= 2+1+4+1+5 =13 =1+3 =4 होगा.
यदि किसी व्यक्ति का सौभाग्य अंक उसके अनुकूल नही है तो उसके नाम के
अंको में घटा जोड करके सौभाग्य अंक को परिवर्तित कर सकते हैं, जिससे कि वह उस व्यक्ति
के अनुकूल हो सके.
सौभाग्य अंक का सीधा
सम्बन्ध मूलांक से होता है. व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक प्रभाव मूलांक का होता
है. चूंकि मूलांक स्थिर अंक होता है तो वह व्यक्ति के वास्तविक स्वभाव को दर्शाता
है तथा मूलांक का तालमेल ही सौभाग्य अंक से बनाया जाता है.
व्यक्ति के जीवन में उतार-चढाव का कारण सौभाग्य अंक होता है. उदाहरण
के लिए मान लो कि हम किसी शहर में जाकर नौकरी/ व्यवसाय करना चाहते हैं, तो हमें उस शहर का शुभांक
मालूम करना होगा फिर उस शुभांक को स्वंय के सौभाग्य अंक से तुलना करेंगे. यदि दोनो
अंको में बेहतर ताल-मेल है अर्थात दोनो अंक आपस में मित्र ग्रुप के है तो वह शहर
आपके अनुकूल होगा, और यदि दोनो अंक एक दूसरे से शत्रुवत
व्यवहार रखते हैं तो उस शहर में आपके कार्य की हानि होगी.
अब हमारे सामने दो विकल्प हैं, एक तो हम उस शहर विशेष को ही त्याग दें तथा अन्य किसी
शहर में चले जायें, यदि एसा करना सम्भव न हो तो दूसरे विकल्प
के रुप में हम अपने नाम के अक्षरो में इस प्रकार परिवर्तन करें कि वो उस शहर विशेष
से भली भांति तालमेल बैठा लें. यही सबसे सरल तरीका है.
इस प्रकार हम अंक ज्योतिष के माध्यम से अपने जीवन को सुखी एंव समृद्ध
बना सकते है एंव दुख व कष्टो को कम कर सकते हैं.
अंक इंसानी जिंदगी में अहं भूमिका निभाते हैं। भविष्य की जानकारी देने
वाला ज्योतिष शास्त्र तो पूरी तरह अंक-विज्ञान पर ही आधारित है। वैसे तो सारे ही
अंक महत्वपूर्ण हैं किन्तु किसी व्यक्ति विशेष के लिये कुछ विशेष कारणों से किसी
अंक को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। वास्तव में अंकज्योतिष में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल की
विशेषताओं के आधार पर गणना की जाती है। इन में से प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक कोई एक अंक निर्धारित किया गया है,
जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से ग्रह पर किस अंक का असर
होता है। ये नौ ग्रह मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। अंकज्योतिष शास्त्र के
अनुसार केवल एक ही नाम व अंक किसी एक व्यक्ति का स्वामी हो सकता है। जातक जीवन में
अपने अंकों के प्रभाव के अनुसार ही अवसर व कठिनाइयों का सामना करता है। अंकज्योतिष
शास्त्र में कोई भी अंक भाग्यशाली या दुर्भाग्यपूर्ण नहीं हो सकता, जैसे कि अंक-7 को भाग्यशाली व अंक -13 को दुर्भाग्यपूर्ण समझा जाता है। यह संयोगवश उपजी भ्रांतिपूर्ण धारणा है।
अंक ज्योतिष से विवाह-
अंकशास्त्र
में मुख्य रूप से नामांक
मूलांक और
भाग्यांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फलादेश किया जाता है. विवाह के संदर्भ
में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है.
अंक ज्योतिष भविष्य जानने की एक विधा है. अंक ज्योतिष से ज्योतिष की
अन्य विधाओं की तरह भविष्य और सभी प्रकार के ज्योंतिषीय प्रश्नों का उत्तर ज्ञात
किया जा सकता है. विवाह जैसे महत्वपूर्ण विषय में भी अंक ज्योतिष और उसके उपाय
काफी मददगार साबित होते हैं.
अंक ज्योंतिष अपने नाम के अनुसार अंक पर आधारित है. अंक शास्त्र के
अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों अपना एक निश्चत अंक होता है. अंकों के
बीच जब ताल मेल नहीं होता है तब वे अशुभ या विपरीत परिणाम देते हैं. अंकशास्त्र
में मुख्य रूप से नामांक, मूलांक और भाग्यांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर
फलादेश किया जाता है. विवाह के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच
सम्बन्ध को देखा जाता है. अगर वर और वधू के अंक आपस में मेल खाते हैं तो विवाह हो
सकता है. अगर अंक मेल नहीं खाते हैं तो इसका उपाय करना होता है ताकि अंकों के मध्य
मधुर सम्बन्ध स्थापित हो सके.
वैदिक ज्योतिष एवं उसके समानांतर चलने वाली ज्योतिष विधाओं में वर वधु
के वैवाहिक जीवन का आंकलन करने के लिए जिस प्रकार से कुण्डली से गुण मिलाया जाता
ठीक उसी प्रकार अंकशास्त्र में अंकों को मिलाकर वर वधू के वैवाहिक जीवन का आंकलन
किया जाता है.
अंकशास्त्र से वर वधू का गुण मिलान-
अंकशास्त्र में वर एवं वधू के वैवाहिक गुण मिलान के लिए, अंकशास्त्र के प्रमुख तीन
अंकों में से नामांक ज्ञात किया जाता है. नामांक ज्ञात करने के लिए दोनों के नामों
को अंग्रेजी के अलग अलग लिखा जाता है. नाम लिखने के बाद सभी अक्षरों के अंकों को
जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है. ध्यान रखने योग्य तथ्य यह है कि अगर
मूलक 9 से अधिक हो तो योग से प्राप्त संख्या को दो भागों में
बांटकर पुन: योग किया जाता है. इस प्रकार जो अंक आता है वह नामांक होता है. उदाहरण
से योग 32 आने पर 3+2=5. वर का अंक 5 हो और कन्या का अंक 8 तो दोनों के बीच सहयोगात्मक
सम्बन्ध रहेगा, अंकशास्त्र का यह नियम है.
वर वधू के नामांक का-
अंकशास्त्र के नियम के अनुसार अगर वर का नामांक 1 है और वधू का नामांक भी
एक है तो दोनों में समान भावना एवं प्रतिस्पर्धा रहेगी जिससे पारिवारिक जीवन में
कलह की स्थिति होगी.
कन्या का नामांक 2 होने पर किसी कारण से दोनों के बीच तनाव की स्थिति
बनी रहती है.
वर 1 नामांक का हो और कन्या तीन नामांक की तो उत्तम रहता है दोनों के बीच
प्रेम और परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्ध रहता है.
कन्या 4 नामंक की होने पर पति पत्नी के बीच अकारण विवाद होता
रहता है और जिससे गृहस्थी में अशांति रहती है. पंचम नामंक की कन्या के साथ गृहस्थ
जीवन सुखमय रहता है. सप्तम और नवम नामाक की कन्या भी 1
नामांक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है जबकि षष्टम और अष्टम
नामांक की कन्या और 1 नमांक का वर होने पर वैवाहिक जीवन के
सुख में कमी आती है.
वर का नामांक 2 हो और कन्या 1 व 7 नामांक की हो तब वैवाहिक जीवन के सुख में बाधा आती है. 2नामांक का वर इन दो नामांक की कन्या के अलावा अन्य नामांक वाली कन्या के
साथ विवाह करता है तो वैवाहिक जीवन आनन्दमय और सुखमय रहता है. तीन नामांक की कन्या
हो और वर 2 नामांक का तो जीवन सुखी होता है परंतु सुख दुख
धूप छांव की तरह होता है. वर 3 नामांक का हो और कन्या तीन,
चार अथवा पांच नामांक की हो तब अंकशास्त्र के अनुसार वैवाहिक जीवन
उत्तम नहीं रहता है. नामांक तीन का वर और 7 की कन्या होने पर
वैवाहिक जीवन में सुख दु:ख लगा रहता है. अन्य नामांक की कन्या का विवाह 3 नामांक के पुरूष से होता है तो पति पत्नी सुखी और आनन्दित रहते हैं.
4अंक का पुरूष हो और कन्या 2, 4, 5 अंक की हो तब
गृहस्थ जीवन उत्तम रहता है . चतुर्थ वर और षष्टम या अष्टम कन्या होने पर वैवाहिक
जीवन में अधिक परेशानी नहीं आती है. 4अंक के वर की शादी इन
अंकों के अलावा अन्य अंक की कन्या से होने पर गृहस्थ जीवन में परेशानी आती है . नामांक के वर के लिए 1, 2, 5, 6, 8 नामांक की कन्या उत्तम रहती है. चतुर्थ और सप्तम नामांक की कन्या से साथ
गृहस्थ जीवन मिला जुला रहता है जबकि अन्य नामांक की कन्या होने पर गृहस्थ सुख में
कमी आती है. षष्टम नामांक के वर के लिए 1एवं 6 अंक की कन्या से विवाह
उत्तम होता है. 3, 5, 7, 8 एवं 9
नामांक की कन्या के साथ गृहस्थ जीवन सामान्य रहता है और 2
एवं चार नामांक की कन्या के साथ उत्तम वैवाहिक जीवन नहीं रह पाता .
वर का नामांक 7 होने पर कन्या अगर 1, 3, 6, नामांक
की होती है तो पति पत्नी के बीच प्रेम और सहयोगात्मक सम्बन्ध होता है. कन्या अगर 5,
8 अथवा 9 नामंक की होती है तब वैवाहिक जीवन
में थोड़ी बहुत परेशानियां आती है परंतु सब सामान्य रहता है. अन्य नामांक की कन्या
होने पर पति पत्नी के बीच प्रेम और सहयोगात्मक सम्बन्ध नहीं रह पाता है. आठ नामांक
का वर 5, 6 अथवा 7 नामांक की कन्या के
साथ विवाह करता है तो दोनों सुखी होते हैं. 2अथवा 3नामांक की कन्या से विवाह करता है तो वैवाहिक जीवन सामान्य बना रहता है
जबकि अन्य नामांक की कन्या से विवाह करता है तो परेशानी आती है . 9 नामांक के वर के लिए 1, 2, 3, 6 एवं 9 नामांक की कन्या उत्तम होती है जबकि 5 एवं 7 नामांक की कन्या सामान्य होती है . 9 नामांक के वर
के लिए 4 और 8 नामांक की कन्या से
विवाह करना अंकशास्त्र की दृष्टि से शुभ नही होता है .
अंक ज्योतिष और विवाह
जानें कब होगा विवाह
जानें कब होगा विवाह पं. सूर्य प्रकाश गोस्वामी सर्व प्रथम विवाह
योग्य लड़के लड़की की जन्म तारीख के आधार पर उनका मूलांक ज्ञात कर लेते हैं। तदुपरांत
तालिका संखया 1 से उस मूलांक की किस वर्ष के मूलांक के साथ समानता है, को देखकर विवाह का वर्ष सहज ही जाना जा सकता है। समस्त मूलांकों में से
मूलांक 8 सबसे अधिक विवाह आदि में अड़चन अथवा विलंब का कारण
बनता है। जो युवक अथवा युवती इससे प्रभावित होते हैं, उनके
विवाह में रूकावटें अथवा अड़चने अधिक आती हैं और विवाह में विलंब अवश्य होता है। जब
जन्म माह और वर्ष का 8-3-4-6-9 अंकों के साथ संयोग होता है,
तब विवाह में विलंब तथा अड़चने आती हैं। साथ ही विवाह के बाद
पारिवारिक अशांति भी बनी रहती हैं। जब 8-3-6-9 अंकों में से
दो अथवा तीन अंकों का सुयोग होता है, तो विवाह विलंब से होता
है।
अंक ज्योतिष भी भविष्य जानने की और भविष्य को और बेहतर करने की एक
अच्छी विधा है। इस विधा के द्वारा भी ज्योतिष की अन्य विधाओं की तरह भविष्य और सभी
प्रकार के ज्योंतिषीय प्रश्नों का उत्तर पाया जा सकता है। आज हम यहां बात करने जा
रहे हैं। अंकज्योतिष की विवाह संस्कार में प्रयुक्त होने वाली भूमिका की। विवाह
जैसे महत्वपूर्ण विषय में अंक ज्योतिष और उसके उपाय काफी मददगार साबित होते हैं।
लेकिन सामान्यत: विवाह के प्रकरण में अंकज्योतिषी वर वधू के मूलांक की आपसी
मित्रता को देखने के बाद विवाह को उचित या अनुचित होने का प्रमाण पत्र दे देते
हैं। यहां पर मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसा सभी अंकशास्त्री करते हैं लेकिन ऐसा करने
वालों का प्रतिशत अधिक है। वास्तव में विवाह जैसे मामले में अंक ज्योतिष के तीनों
पैमानों का प्रयोग करना उत्तम परिणाम देने वाला रहता है। वो तीन पैमाने मूलांक (Root Number), भाग्यांक (Destiny
Number) और नामांक (Name Number) हैं। विवाह
के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है। यदि
इन तीनों का मिलान सकारात्मक रहे तो वैवाहिक जीवन के सुखद रहने की सम्भावना प्रबल
होती है।
यद्यपि मेरा यह आलेख सबके लिए उपयोगी है लेकिन फिर भी यह उन लोगों के
अधिक उपयोगी सिद्ध होगा जिन्हें अपने जन्म का सही समय नहीं पता हो। क्योकि वैदिक
ज्योतिष में बिना सही समय के सटीक मिलान में व्यवधान आता है। इसके अलावा ये विधा
उन लोंगों के लिए आशा की किरण साबित हो सकती है जिनका मिलाप वैदिक ज्योतिष के
अनुसार उचित नहीं आ रहा है। यहां एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं वैदिक ज्योतिष को
अंक ज्योतिष की तुलना में कमजोर नहीं कह रहा हूं। यहां मैं केवल इतना कह रहा हूं
कि यदि वैदिक ज्योतिष के अनुसार मिलान ठीक न हो लेकिन अंकज्योतिष की तीनों
कसौटियों के अनुसार विवाह उचित हो तो सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है। इसके
अलावा यह आलेख उन लोगों के लाभप्रद सिद्ध हो सकता है जिन्हें उनकी जन्मतिथि
उत्यादि की जानकारी बिल्कुल न हो। ऐसे में यदि कोई अपने नामाक्षर के नक्षत्र के
अनुसार गुण मिलान करने के अलावा, अंकज्योतिष के अनुसार नामांक मिलान करा कर विवाह करता
है तो भी सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है।
अपने नाम के अनुसार अंकज्योंतिष अंको पर आधारित एक ज्योतिषीय विधा है।
अंकज्योंतिष के अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों का अपना एक निश्चत अंक
होता है। जिन अंकों के बीच मित्रता होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच
अच्छा तालमेल होता है इसके विपरीत जिन अंकों में मित्रता नहीं होती है उनसे
सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच तालमेल नहीं हो पाता। अंकज्योंतिष मुख्यत: मूलांक, भाग्यांक और नामांक इन
तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फल कथन किया जाता है। यदि विवाह के मामले पर बात की
जाय तो वर और वधू के अंकों के आपसी मेल के आधार पर उनका विवाह कराया जा सकता है।
कभी-कभी कुछ ऐसे प्रेम करने वाले भी मिल जाते हैं जो अपने प्रेम पात्र को पाने के
लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसे में यदि उनका सम्यक गुण मिलान, मूलांक या भाग्यांक अंक मिलान नहीं हो पाता तो वे इन सबको नजर अंदाज करने
को तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसे विवाह का हश्र ठीक नहीं होता है। ऐसे में
अंकज्योतिष कुछ मददगार सिद्ध हो सकती है। ऐसे में अन्य ज्योतिषीय उपायों के साथ
दोनों के नाम की स्पेलिंग में कुछ ऐसा बदलाव किया जाता है जिससे दोनों के नामांक
एक दूसरे की मित्रता वाले हो जाएं।
अंक शास्त्र से वर वधू का गुण मिलान-
सबसे पहले वर और वधू के मूलांकों का मिलान किया जाता है। जिससे उनके
रहन-सहन एवं विचारधारा में सामंजस्य बना रहे। इसके बाद उनके भाग्यांकों का मिलान
किया जाता है जिससे उनके मिलन से एक दूसरे की होने वाली भाग्योन्नति का पता चलता
है। इसके बाद उनके नामांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके जीवन के सभी
क्षेत्रों पर पडने वाले प्रभाव का पता चलता है।
मूलांक क्या है?
मूलांक जन्म की तारीख के योग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म
किसी भी महीने और साल की 1 तारीख को हुआ है तो मूलांक 1
होगा ऐसे ही 2 तारीख को हुआ तो मूलांक 2 हुआ, जन्म 9 तारीख को हुआ तो
मूलांक 9 हुआ। इसके आगे की जितनी भी तारीखें हैं उनका योग कर
लेना चाहिए जैसे यदि जन्म 24 तारीख को हुआ तो मूलांक 2+4=6 होगा।
भाग्यांक क्या है?
भाग्यांक जन्म की तारीख, महीने और साल के महायोग को कहा जाता है जैसे यदि किसी
का जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ है तो
उसका भाग्यांक 1+9+9+1+9+9+2=4 होगा।
नामांक क्या है?
नामांक ज्ञात करने के लिए वर वधू दोनों के नामों को अंग्रेजी में अलग
अलग लिखना चाहिए। प्रत्येक अक्षर का एक अंक होता है अत: नाम लिखने के बाद सभी
अक्षरों के अंकों को जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है। जैसे यदि किसी का
नाम विशाल है तो अंग्रेजी में उसका नाम लिखा जाएगा VISHAL, यहां कीरो मेथड से V
का अंक 6,I का अंक 1, S का
अंक 3, H का अंक 5, A का अंक 1 और L का अंक 3 होगा। अब VISHAL
के सभी अक्षरांको को जोडा जाएगा। जिसका नामांक 6+1+3+5+1+3=19 हुआ अब 1 और 9 को जोडा जाएगा
यानी 1+9=10 हुआ। यह योग भी दो अंकों में है अत: इन्हें फिर
से आपसे में जोडना चाहिए जो कि 1+0=1 होगा। अत: विशाल का
नामांक 1 हुआ।
यहां पर ध्यान रखने योग्य बात यह है कि अगर मूलांक, भाग्यांक या नामांक 9 से अधिक हो तो योग से प्राप्त संख्या को दो भागों में बांटकर पुन: योग
किया जाता है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक कि वह एक अंक का न हो जाय।
उपरोक्त उदाहरण के माध्यम से यदि यह पूछा जाय कि विशाल नामक व्यक्ति, जिसका जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ उसका मूलांक, भाग्यांक और नामांक क्या है? इसका उत्तर यह है कि
उसका मूलांक1, भाग्यांक 4, और नामांक 1 है।
मूलांक, भाग्यांक और नामांक मिलान फल:
सारणी:-
अंक
|
अतिमित्र
|
मित्र
|
सम
|
शत्रु
|
1
|
------
|
2,3,6,7,9
|
1,8
|
4,5
|
2
|
2,6,9
|
1,4,7
|
3,8
|
5
|
3
|
6,9
|
1,5
|
2,4,7
|
3,8
|
4
|
4,6
|
2,7,8,9
|
3,5
|
1
|
5
|
------
|
3
|
4,6,7,8,9
|
1,2,5
|
6
|
2,3,4,6,9
|
1
|
5,7,8
|
------
|
7
|
7,9
|
1,2,4,6
|
3,5,8
|
------
|
8
|
------
|
4,6
|
1,2,5,7,8,9
|
3
|
9
|
2,3,6,7,9
|
1,4
|
5,8
|
------
|
यहां पर
संक्षिप्त में यह समझ लेना है कि जिसका जो अंक अर्थात मूलांक, भाग्यांक या नामांक है
यदि उसके जीवन साथी या प्रेम पात्र का अंक उसके अतिमित्र के कालम वाला है तो उनका
दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा रहेगा। यदि मित्र अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन अच्छा
रहेगा। यदि सम अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन सामान्य रहेगा अर्थात कुछ
विसंगतियां रह सकती हैं लेकिन निर्वाह होता रहेगा। जबकि अंको में आपसी शत्रुता
होने पर दाम्पत्य जीवन कष्टकारी रह सकता है।
उदाहारण -आइए इस बात को इस उदाहारण के माध्यम से समझ लेते हैं। आइए जानते हैं
कि 1 अंक वाले वर के लिए विभिन्न अंक वाली कन्याएं कैसी रहेंगी। अंकशास्त्र के
नियम के अनुसार अगर वर का अंक 1 है और वधू का अंक भी एक है
तो दोनों में समान भावना एवं प्रतिस्पर्धा रहेगी जिससे पारिवारिक जीवन में कलह की
स्थिति होगी। कन्या का अंक 2 होने पर सामान्यतय: दाम्पत्य
जीवन सुखद रहता है। वर का अंक 1 हो और कन्या का तीन तो
दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। दोनों के बीच प्रेम और परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्ध
रहता है। कन्या का 4 होने पर पति पत्नी के बीच अकारण विवाद
होता रहता है और जिससे गृहस्थी में अशांति रहती है. 5 अंक
वाली कन्या के साथ मौखिक वाद-विवाद होने की सम्भावना रहती है। 6 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक
जीवन का आनन्द लेती है 7 अंक वाली कन्या के साथ 1 अंक के वर का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं 1
अंक के वर का विवाह 8 अंक वाली कन्या से होने पर वैवाहिक
जीवन में सुख की कमी रहती है। जबकि 9 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है। इसी तरह हम अन्य
अंकों को भी समझ सकते हैं।
उपरोक्त उदाहरण में हमने जहां पर अंक लिखा है उसमें तीनों कसौटियों को
शामिल करना है। तीनों कसौटियां यानि कि मूलांक, भाग्यांक और नामांक।
उपरोक्त सारणी तीनों ही स्थितियों विचारणीय होगी। यदि वर और कन्या के मूलांक,
भाग्यांक और नामांक तीनों में मित्रता हो तो दाम्पत्य जीवन बहुत
सुखी होता है, यदि दो में मित्रता हो तो सामान्यत: ठीक रहता
है और यदि केवल एक की मित्रता हो तो विवादों के बाद किसी तरह निर्वाह हो सकता है
लेकिन यदि तीनों कसौटियां विपरीत परिणाम दर्शा रहीं हों तो विवाह से बचना चाहिए।
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि इनमें से एक कसौटी यानी कि नामांक को सुधारा जा
सकता है। अत: जिनका दाम्पत्य जीवन दुखी हो इस विधा से उसमें बेहतरी लाई जा सकती
है।
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